पटना: एक मुख्यमंत्री जो कभी नीचे भैस चरा रहे चरवाहों को देखकर अपना हेलीकॉप्टर उतार देता है और उन्हें हेलीकॉप्टर का फ्री राइड देता है तो कभी बड़े-बड़े अधिकारियों से हो रहे मीटिंग के बीच पान मंगाकर खाता है। एक नेता जो रात को गाड़ी लेकर बिहार के पिछड़े इलाकों की सैर पर निकल जाता है तो कभी मुख्यमंत्री रहते हुए सरकार द्वारा चपरासी को दिए गए कमरे से राज्य की सत्ता चलाता था। हम बात कर रहे हैं लालू प्रसाद यादव की।
एक कहानी है कि लालू यादव ने लाल कृष्ण आडवाणी को जब गिरफ्तार कराया था तब लाल कृष्ण आडवाणी ने लालू यादव से कहा था कि गिरफ्तारी के दौरान उन्हें उनकी पत्नी से बात करने दिया जाए जिसके बाद लालू प्रसाद यादव ने राज्य भर के बड़े अधिकारियों की परवाह किये बगैर हॉटलाइन की व्यवस्था कराई थी लेकिन यह खबर किसी प्रकार मीडिया में पहुंची और फिर उसके बाद जो हुआ उसको लालू यादव ने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना’ में लिखा है।
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आज कहानी उसी रथ यात्रा की बताएंगे जिसे लालू ने बिहार में थाम लिया था तो दिल्ली से लेकर बिहार तक हलचल मच गई थी। कैसे देश के प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को अनसुना कर लालू यादव ने राम नाम की लहर पर सवार लाल कृष्ण आडवाणी के रथ को रोका? कैसे जब लाल कृष्ण आडवाणी के बारे में पत्रकार ने एक झूठ फैला दिया जिससे लालू यादव राजनीतिक रूप से बहुत परेशान हुए लेकिन फिर लाल कॄष्ण आडवाणी ने खुद उसका खंडन कर दिया। आपको बताएंगे कि लालू यादव ने इस घटना के बारे में अपनी आत्म कथा के अंदर क्या कुछ लिखा है।
साल 1990 देश की राजनीति के लिहाज से काफी मायने रखता है और खासकर भारतीय जनता पार्टी के राजनीति के लिहाज से। उधर देश में भाजपा राम मंदिर के नाम पर अलग समीकरण तैयार कर रही थी तो इधर बिहार में लालू यादव ने एक नया समीकरण तैयार कर दिया था। लाल कृष्ण आडवाणी ने उस समय अपना रथ यात्रा शुरू किया जिसे रोकने का ख्याल लालू यादव ने अपने मन में बना लिया।
लालू यादव ने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना’ में लिखा है कि ‘आडवाणी जी ने कहा कि ‘देखता हूं, कौन माई का दूध पिया है, जो मेरी रथ यात्रा रोकेगा।’ मैंने नहले पर दहला मारा, ‘मैंने मां और भैंस, दोनों का दूध पिया है। आइए बिहार में, बताता हूं।’
लाल कृष्ण आडवाणी का रथ यात्रा बिहार में घुसा तो लालू यादव ने उनको गिरफ्तार करने का पूरा खाका तैयार कर लिया था। लालू यादव ने योजना बनाई की आडवाणी जी की रथ यात्रा बिहार में धनबाद से शुरू होगी और सासाराम के नजदीक उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। योजना तो बन गयी लेकिन तय समय से पहले यह योजना लीक भी हो गई।
धनबाद में गिरफ्तारी की योजना तैयार हुई लेकिन अफसरो के बीच तालमेल नहीं बन सकी। जिस अधिकारी ने लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने से मना कर दिया था उस अफसर का नाम अफजल अमानुल्लाह है। कुल मिलाकर गिरफ्तारी की यह योजना फेल हो गयी। लालू यादव हर हाल में लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कराना चाहते थे। अब फिर से योजना तैयार की गई। आडवाणी अपनी रथ यात्रा के साथ समस्तीपुर पहुंचे गए थे। लाल कृष्ण आडवाणी समस्तीपुर के सर्किट हाउस में रुके और लालू यादव के तरफ से निर्देश दिया गया कि उन्हें अब कही जाने ना दिया जाए। हालांकि उनके साथ भारी समर्थकों की भीड़ थी और उस समय उन्हें गिरफ्तार करने संभव नहीं था। लिहाजा लालू यादव ने समय लिया। रात को लगभग 2 बजे समस्तीपुर के सर्किट हाउस में एक फ़ोन आया। फ़ोन को आडवाणी के एक सहयोगी ने उठाया था। फ़ोन करने वाले ने बताया कि वो एक पत्रकार है और वो जानना चाहता है कि वहां आडवाणी जी के साथ कौन-कौन है। सहयोगी ने बताया कि आडवाणी जी सो रहे हैं और समर्थक यहां से जा चुके है। यह जानने के बाद उस व्यक्ति ने फ़ोन रख दिया।
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दरअसल, फोन करने वाला कोई और नहीं बल्कि लालू प्रसाद यादव खुद थे। इसके बाद आरके सिंह नाम के अफसर ने लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया। आज वो आरके सिंह भाजपा के टिकट पर बिहार के आरा से सांसद हैं। सुबह-सुबह 4 बजे गिरफ्तार कर लाल कृष्ण आडवाणी को हेलीकॉप्टर से दुमका जिले के मसानजोर गेस्ट हाउस लाया गया जहां उन्हें नजरबंद कर दिया गया।
इसके आगे की कहानी बताते हुए लालू यादव ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि ‘नजरबंद रहते हुए आडवाणी ने एक विशेष अनुरोध किया कि वह अपनी पत्नी कमला आडवाणी से बात करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि वे उन्हें मिस करते हैं और उनसे बातचीत किए बिना बेचैनी महसूस करते हैं। मेरे सामने अजीब दुविधा थी। यह एक राजनीतिक कैदी का – वे कोई अपराधी नहीं थे – मानवीय अनुरोध था लेकिन यह भी हो सकता था कि वे अपनी पत्नी से कोई राजनीतिक बात साझा करें। अगर यह बात लीक हो जाए, तो उसके नतीजे भयावह हो सकते थे।
आडवाणी की एक बात पर उनके समर्थक सड़क पर उतर सकते थे। मेरे सहयोगियों ने मुझे साफ शब्दों में सुझाया कि मैं आडवाणी का यह अनुरोध न मानूं लेकिन मैं वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुरोध पर पिघल गया। पत्नी से बात करने के लिए जल्दी ही हाॅटलाइन की व्यवस्था की गई। आडवाणी दिन में दो बार उनसे बात करते थे।’ आगे उन्होंने लिखा है कि ‘आडवाणी जब बात करते थे तो उस वक्त उस कमरे में बिहार सरकार के एक अधिकारी भी होते थे। उनकी उपस्थिति से आडवाणी शुरुआत में असहज रहते थे लेकिन बाद में वे सहज हो गए।
लालू यादव ने आडवाणी जी की तारीफ करते हुए लिखा है कि ‘नजरबंद रहते हुए आडवाणी ने संतुलन और भद्रता का परिचय दिया। अपनी बात पर अड़े रहने वाले इस व्यक्ति की अपनी छवि थी। यह खबर किसी तरह लीक हो गई कि नजरबंद आडवाणी दिन में दो बार अपनी पत्नी से बात करते हैं।
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एक वरिष्ठ पत्रकार ने कमला आडवाणी से अनुरोध किया कि जब वह आडवाणी से बात कर रहे हों, तब वह उनका इंटरव्यू लेना चाहते हैं। एक नियत दिन पर जब पति-पत्नी के बीच हाॅटलाइन पर बात हो रही थी, तब उस पत्रकार ने दूसरे छोर से आडवाणी से बात करने की कोशिश की। आडवाणी ने उनसे बातचीत से मना कर दिया क्योंकि यह उस वायदे के खिलाफ होता, जो उन्होंने मुझसे किया था कि वे सिर्फ अपनी पत्नी से बात करेंगे लेकिन उस पत्रकार ने यह खबर फैला दी कि उन्होंने आडवाणी से बात की है, और भाजपा द्वारा केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लेना अब कुछ समय की ही बात है। इस खुलासे से मेरी सरकार के साथ-साथ वीपी सिंह सरकार की भी काफी बदनाम हुई, और दुमका के डीएम को सस्पेंड कर देने की मांग उठी। जब आडवाणी को यह बात मालूम चली, तो वह बेहद दुखी हुए, और उन्होंने साफ-साफ कहा कि उन्होंने किसी पत्रकार को कोई इंटरव्यू नहीं दिया है। वह चाहते, तो खामोश रहकर इस झूठ को और फैलने दे सकते थे, क्योंकि इससे उस आदमी की ही परेशानी बढ़ती, जिसने उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था लेकिन सच कहकर उन्होंने अपने बड़प्पन का परिचय दिया।’
यह बातें लालू प्रसाद यादव ने लाल कृष्ण आडवाणी के बारे में लिखा है। वैसे राजनीति के लिहाज से लालू और आडवाणी एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं लेकिन राजनीति के बाद में एक राजनेता की ज़िंदगी होती है यह बात लालू यादव और लाल कृष्ण आडवाणी के घटना से हमें पता चलता है।