बिहार में यूं तो शराब पर पूरी तरह प्रतिबंध लागू है, लेकिन यह सिर्फ़ कागजों पर दिखता है ऐसा कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के लिए शराबबंदी से बड़ी कोई विफलता नहीं है। शराबबंदी की पहल 9 जुलाई 2015 को हुई थी। जब नीतीश के कार्यक्रम में एक महिला ने कह दिया था कि ‘मुख्यमंत्री जी, शराब बंद कराइए। घर बर्बाद हो रहा है।’ तब नीतीश जी ने फ़ौरन ऐलान कर दिया कि अगली बार सरकार में आए, तो शराब बंद कर देंगे। अब जब नीतीश जी ने वादा किया था तो निभाना तो था ही। इनका वादा लैला मजुनू के वादे से कम थोड़ी ना है।
बिहार में शराबबंदी का हाल क्या है वो आप सब बखूबी जानते हैं। पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद भी बिहार में शराब का धंधा मंदा तो जरूर पड़ा है परंतु मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सख्ती के बाद भी यह धंधा पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है। सरकार के लाख दावों के बाद भी समय-समय पर शराब की जब्ती व शराब के साथ गिरफ्तारियां इसके प्रमाण हैं।
वैसे पुलिस के आंकड़े यह बताने के लिए काफ़ी हैं कि अवैध शराब पकड़ने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार में अप्रैल 2016 से लागू पूर्ण शराबबंदी के बाद साल 2021 के जनवरी तक राज्य में शराब का सेवन करते हुए 3 लाख 39 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सीमावर्ती राज्य और नेपाल के 5401 तस्कर को भी गिरफ्तार किया गया है। पकड़े गए अधिकतर लोग या तो शराब पीने वाले हैं फिर इसे लाने के लिए कैरियर का काम करने वाले हैं। आज तक किसी बड़े शराब माफियाओं को पुलिस नहीं पकड़ सकी है। करीब 51.7 लाख लीटर देशी शराब और 94.9 लाख लीटर विदेशी शराब बरामद की गई है। मुजफ्फरपुर, वैशाली, गोपालगंज, पटना, पूर्वी चपारण, रोहतास और सारण वाले इलाकों में शराब की अधिकतम बरामदगी हुई है। जनवरी 2021 तक 2 लाख 55 हजार 111 मामले दर्ज किए गए हैं। 470 अभियुक्तों को कोर्ट से सजा मिली । 619 पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई की गई । 348 कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज की गई जबकि 60 पुलिस पदाधिकारी थानाध्यक्ष पद से हटाए गएI
इसका सीधा सा मतलब यही है कि बिहार में शराब बंदी के बाद भी कारोबारियों का बोलबाला रहा है। बिहार में भले ही शराबबंदी हो लेकिन शराब तस्करी से जुड़े कारोबारी से लेकर पुलिस विभाग के कई अधिकारियों और कर्मियों की बल्ले-बल्ले है। साल 2016 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ-साफ कहा था कि शराब पीने का शौक रखने वाले बिहार न आएं।लेकिन लोगों को क्या पता था कि नीतीश जी की यह बातें बेफिजूल है। बेफिजूल में इसलिए क्योंकि जिस तरह से बिहार में शराब बंदी का मजाक उड़ाया जाता है उसके लिए ऐसी बातें करना ही सही होगा।
बिहार में कभी पेट्रोल टैंकर तो कभी गैस सिलेंडर से शराब की तस्करी करने का मामला सामने आता रहता है। बिहार में शराबबंदी और दहेज़ का कानून जितना तेजी से बना उतना ही तेजी से फ्लॉप भी हो गया। कहने के लिए बिहार में पूर्ण रूप से शराब बंदी कानून लागू है, लेकिन सूबे में धड़ल्ले से शराब का अवैध कारोबार भी बदस्तूर जारी है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए, लेकिन अब पुलिस प्रशासन ही इस कानून की धज्जिया उड़ा रहें हैं, तो जाहिर सी बात हैं इस पर अंकुश नहीं लगेगा। आए दिन शराब के साथ पुलिस कर्मियों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते रहता है।
बता दें कि कुछ दिन पहले पुलिस ने अदालत को बताया था कि चूहों ने 9 हजार लीटर शराब पी ली है। इसको लेकर विपक्ष ने खूब हंगामा भी किया था कि अब चूहे भी शराब पीने लगे हैं। वैसे तेजस्वी यादव भी बराबर कहते रहे हैं कि बिहार में शराब की होम डिलीवरी हो रही है। इस धंधे में ना केवल माफिया बल्कि पुलिस-प्रशासन तथा कुछ राजनेता भी शामिल हैं। पैसे के लोभ में नए उम्र के लडक़े-लड़कियां पढ़ाई-लिखाई छोडक़र शराब की होम डिलीवरी में लग गए हैं।
इधर, पिछले दिनों एक गैर- सरकारी संस्था द्वारा कराए गए सर्वेक्षण से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि शराबबंदी के कारण लोग सरकार से नाखुश हैं। सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि राज्य में शराब तस्करी बेधड़क चल रही है और घूसखोरी एवं भ्रष्टाचार के मामलों में भी तेज़ी आई है।
शराबबंदी का कानून समाज के लिहाज से बहुत अच्छा कहा जा सकता है, पर शराबमाफियाओं के चलते इसकी धज्जियां भी खूब उड़ाई जा रही है, अब कूर्सी पर बैठे सिहासी महकमों को यह सोचना होगा कि सूबे में इसे पूर्ण रुप से कैसे रोका जाए।