दिल्ली: सोमवार की शाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई वैक्सीनेशन पॉलिसी का एलान करते हुए 21 मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को मुफ्त वैक्सीन देने की घोषणा की। इसके बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वित्तीय वर्ष में कोविड-19 वैक्सीन पर ₹ 45,000 करोड़ तक खर्च आ सकता है।
राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि अब राज्य सरकार के खर्च को भी केन्द्र सरकार ही वहन करेगी। उन्होंने कहा कि 21 जून के बाद से 18 वर्ष से उम्र के सभी नागरिकों के लिए भारत सरकार, राज्यों को टीका मुहैया कराएगी। वैक्सीन का 75 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार खरीदकर राज्य सरकारों को मुफ्त मुहैया कराएगी।
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इस समय भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा भारत बायोटेक द्वारा तैयार वैक्सीन भी प्रयोग की जा रही है। इसके अलावा रूस की वैक्सीन स्पुतनिक वी को भी इस माह देश में व्यावसायिक रूप से लॉन्च किया जाएगा।
मई के महीने से राज्यों को 25 प्रतिशत काम दिया गया लेकिन अब वैक्सीन की खरीद पर हाथ खड़े कर चुके राज्य कह रहे हैं कि वैक्सीन केंद्र ही खरीदे और इसे खुद राज्यों को बांटे। इस पर सियासत और बड़े टकराव के बीच आखिरकार प्रधानमंत्री सामने आए और साफ कर दिया कि वैक्सीन पर अब पुरानी नीति ही चलेगी। उन्होंने कहा कि 21 जून के बाद से 18 वर्ष से उम्र के सभी नागरिकों के लिए भारत सरकार राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देगी। किसी भी राज्य सरकार को वैक्सीन पर कुछ भी खर्च नहीं करना होगा।
अब निजी अस्पतालों में वैक्सीन लेने वालों का दायरा बढ़ाने के लिए भी सरकार अहम कदम उठाने जा रही है। वैक्सिन के लिए विशेषज्ञ नॉन ट्रांसफेरेबल इलेक्ट्रॉनिक डिबेंचर का प्रवधान किया जाएगा। इससे कोई भी व्यक्ति दूसरे के लिए वैक्सीन खरीद सकेगा। क्यूआर कोड आधारित इस डिबेंचर्स के माध्यम से निजी अस्पताल में टीके का भुगतान हो जाएगा।
इससे अब देश मे वैक्सीनेशन अभियान में तेज़ी आएगी और ज्यादा से ज्यादा लोगो को वैक्सीन लगाया जा सकेगा। अभी सात कंपनियां देश में विभिन्न टीको का उत्पादन कर रही है और तीन टीके एडवांस्ड स्टेज में हैं। जिससे आने वाले समय मे टीके की आपूर्ति बढ़ेगी।
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