रिपोर्ट: अंकित शर्मा
पटना: हाथों से हाथ जुड़ा और कारवां चल निकला। भीड़ से भरी इस दुनिया में सहयोग का चिराग जब तक जलेगा ये इंसानियत इसी प्रकार चलेगा। कई घरों के बुझते चिरागों के लिए उम्मीद की किरण जैसा है क्राउड फंडिंग। ऐसी ही कहानी है एक इंसान की जो ना ही कोई बड़े सेलिब्रिटी हैं ना ही ऐसे परिवार से ताल्लुक रखते है जो महंगे इलाज करवा सकें।
उड़ीसा के 24 वर्षीय अमृत प्रधान प्रीमियर गवर्मेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से पढ़ाई की है। पढ़ाई के बाद उन्होंने कॉरपरेट नौकरी भी कि लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने नौकरी छोड़ कर सिविल सर्विसेस की तैयारी शुरू कर दी।महामारी के दौरान उनकी माँ (जो एक शिक्षिका हैं ) कोरोना संक्रमित हो गईं। देखते हीं देखते पहले पिता जी(रिटायर्ड बैंककर्मी) और फिर अमृत भी कोरोना के चपेट में आ गए।
कोरोना के लक्षण प्रभावी रूप से दिखने के बाद अमृत को निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तबियत में सुधार के लिए उन्हें 2 मई को भुवनेश्वर एम्स में भर्ती करवाया गया। भुवनेश्वर एम्स में अमृत को 20 दिनों तक वेंटीलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया लेकिन उनकी तबियत लगातार बिगड़ती जा रही थी।
परिवार के सदस्यों के अनुसार उन्हें कोरोना के कारण निमोनिया,सेप्टीसीमिया (बैक्टीरिया का संक्रमण जो शरीर में कहीं भी हो सकता) और फंगल इन्फेक्शन के कई शिकायत आए। 24 मई को एम्स के डॉक्टर्स ने एक्स्ट्रा कारपोरल मेम्ब्रेन ऑक्सिजनेसन सपोर्ट (ECMOS) की सलाह दी। हालांकि ये पद्धत्ति भुवनेश्वर में उपलब्ध नही था। इलाज की अनुपलब्धता परिवार वालों के लिए चिंताजनक था।
अमृत के एक और रिश्तेदार के अनुसार अमृत के इलाज में लगभग 1.2 करोड़ रुपए की खर्च का अनुमान था।सिर्फ ECMOS और फेंफड़ा संक्रमण के कारण फेंफड़ा ट्रांसप्लांट में ही 30 से 40 लाख का खर्च का अनुमान था। समय और संसाधन की कमी के बीच परिवार के सदस्यों ने क्राउड फंडिंग का रास्ता चुना। परिवार वालों ने मिलाप(क्राउड फंडिंग ऐप) के सहयोग से फंड रेजिंग कैम्पेन की शुरुआत की।
उनका कैम्पेन जल्दी ही लोगों तक पहुंचना शुरू हुआ और लोगों ने हाथ से हाथ मिलाया और ये कारवां सफल होता चला गया। महज एक सफ्ताह में परिवार वालों ने ₹57,24,750 जुटा लिए। आस पड़ोस के कुछ लोग भी सहयोग के लिए आगे आए। लोगों का सहयोग रंग लाया और 3 जून को अमृत को अपोलो चेन्नई में बेड और एयरलिफ्ट करने का कन्फर्मेशन प्राप्त हो गया। भुवनेश्वर और कटक कमिशनरेट ने भी सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया और अमृत के लिए एक विशेष एम्बुलेंस का व्यवस्था किया गया और एक भुवनेश्वर एम्स से बीजू पटनायक एयरपोर्ट तक लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया जिससे कम समय मे अमृत को एयरलिफ्ट किया जा सके।
अमृत के परिवार वालों को ये उम्मीद है की अमृत इस जंग को जीत कर जल्द हीं लौटेंगे। परिवार के लोग क्राउड फंडिंग से काफ़ी उत्साहित हैं। हम भी आशा करते हैं कि अमृत जल्द ही स्वस्थ्य हो जाएं और हर उस इंसान के लिए प्रेरणा बने जो आर्थिक तंगी के कारण बेहतर इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं।
ये समय काफी निराशाजनक है और इस समय अमृत का उदाहरण काफी प्रेणादायी है। इंसानियत के लिए प्रेम और लोगों का जज्बा काबिल ए तारीफ है।