मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल कई दिनों से जारी है। इसी क्रम में हड़ताल पर बैठे करीब तीन हजार से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। इस पर टिप्पणी करते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित किया था और साथ ही 24 घंटे के अंदर काम पर लौटने का आदेश भी दिया था। डॉक्टरों का आरोप है कि हड़ताल तुड़वाने के लिए उन्हें पुलिस की ओर से धमकी दी जा रही है। इन सब के बीच मध्य प्रदेश में जूनियर डॉक्टरों की शिवराज सरकार से ठन गई है।
जहां एक तरफ डॉक्टरों की हड़ताल नहीं टूट रही है वहीं मध्य प्रदेश के मेडिकल शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भी जूनियर डॉक्टरों से बात नहीं करना चाहते हैं। इससे डॉक्टर्स और सरकार के बीच दूरियां और बढ़ती जाएंगी।
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मध्य प्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन कि सेक्रेटरी अंकिता त्रिपाठी का कहना है कि सरकार ने उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया है, और सिर्फ आश्वासन ही मिला है। इसी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ अरविंद मीणा ने कहा कि अथॉरिटीज ने हमारी मांगों को स्वीकार करने का भरोसा दिया था, लेकिन उस पर कुछ हुआ ही नहीं। इसके उपरांत सभी डॉक्टरों ने काम करना बंद कर दिया। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने उनके स्टाइपेंड में 24 फ़ीसदी के इजाफे की बात कही थी लेकिन अभी मात्र 17 फ़ीसदी ही किया है। उनके मुताबिक सरकार जब तक यह वादा पूरा नहीं करती है तब तक वे लोग हड़ताल जारी रखेंगे।
इस हड़ताल को लेकर मध्य प्रदेश के मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर विश्वास सारंग ने अपने बयान में कहा है कि यह स्ट्राइक असंवैधानिक है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वे लोग हमसे बात ही नहीं करना चाहते हैं, औए उन्हें उच्च न्यायालय के आदेश को मानकर काम पर वापस लौट जाना चाहिए।
इस हड़ताल का असर यह है कि इससे पूरे मध्य प्रदेश के अस्पतालों में नई संकट की स्तिथि पैदा हो गयी है। सरकार को जल्द से जल्द डॉक्टरों से वार्ता कर इस हड़ताल को खत्म करवाने का पहल करना चाहिए।
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