देर आये दुरुस्त आये लेकिन अभी दुरुस्त होने में थोड़ा संशय है। हम बात कर रहे है बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था की। सुबह से चर्चा चल रही है कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग में 30 हजार पदों पर भर्ती होनी है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने खुद जानकारी भी दी है लेकिन क्या भर्ती हो ही जाएगा यह अपने आप में सबसे बड़ा सवाल है। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे जी ने भले ही ऐलान कर दिया कि स्वास्थ विभाग में 30 हजार पदों पर भर्ती होगी लेकिन क्या भर्ती प्रक्रिया वाकई में आने वाले कुछ महीनों के अंदर पूरा कर लिया जाएगा यह सवाल सबके मन में आ रहा है और यह सवाल इसलिए मन में आ रहा है क्योंकि हम अपने सिस्टम के काम करने का तरीका अच्छे से समझते हैं और जानते हैं कि हमारे राज्य में कोई भी सरकारी योजना लागू करनी हो या फिर सरकारी भर्ती करना हो तो उसमें कितना वक्त लगता है। इस बार भी 30 हजार पदों पर भर्ती का ऐलान खूब छीछालेदर होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे जी ने किया है। क्या वाकई बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने की मंशा हमारे स्वास्थ्य मंत्री के पास या फिर बिहार सरकार के मन में है? क्या बिहार सरकार बच्चों को तीसरे लहर से बचाने के लिए कोई ठोस व्यवस्था कर रही है या फिर केवल हवा-हवाई बातें ही हो रही है?
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने जानकारी देते हुए बताया है कि भविष्य में बिहार को किसी भी आपातकाल हालत से बचाने के लिए या फिर कह लीजिए कि निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग 30 हजार अलग-अलग पदों पर नियुक्तियां करेगा। अब सबसे पहले जान लीजिए कि किन-किन पदों के लिए स्वास्थ विभाग में भर्ती निकालने की बात कही गयी है। बताया गया है कि प्रदेश की हालत को देखते हुए 6 हजार 338 सामान्य या फिर विशेषज्ञ चिकित्सकों को भर्ती किया जाएगा। केवल विशेषज्ञ चिकित्सक ही नहीं बल्कि 3 हजार 270 पद आयुष चिकित्सा के लिए भी निकाला गया है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से इनके अलावा 4671 पद GNM के लिए और 9 हजार 233 पद ANM के लिए भी लाया जाएगा।
अगर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की माने तो इन पदों के अलावा लगभग 7 हजार पदों पर और नियुक्ति की जाएगी तथा इसके लिए बकायदा निर्देश भी दिया जा चुका है। अब बात कर लेते हैं कि क्या सरकार वाकई तीसरे लहर की संभावित खतरे को देखते हुए गंभीरता पूर्वक इन पदों पर नियुक्ति करेगी और क्या इसके बाद राज्य के अंदर डॉक्टरों की कोई कमी नहीं रहेगी? यह सवाल इसलिए जरूरी है क्योंकि हमने दूसरी लहर के दौरान देखा कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था किस प्रकार से एकदम लाचार स्थिति में पहुंच चुकी थी। पिछले कुछ समय से राज्य के अंदर हालत थोड़ी सुधरी है लेकिन अभी भी संभावित तीसरे खतरे के डर से सभी लोग सहमे हुए हैं।
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मुंबई से लेकर राजस्थान तक बच्चों के अंदर कोरोना के काफी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं और ऐसी स्थिति में बिहार सरकार को चाहिए कि बच्चों के लिए खास तौर पर विशेष तैयारी की जाए। विशेषज्ञ पहले से ही लगातार इस बात की चिंता जता रहे हैं की तीसरे लहर के दौरान सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को होगा। बिहार के बारे में बच्चों के लिए बस इतना जानिए कि बिहार के आधे से जिलों में सरकार के पास बच्चों की किसी भी गंभीर इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार बच्चों के लिए जितने आईसीयू की जरूरत पड़ेगी बिहार के पास उसका आधा आईसीयू भी मौजूद नहीं है। अगर बिहार सरकार ने वाकई गंभीरता पूर्वक सारी व्यवस्था नहीं बनाई तो अंजाम बहुत बुरा होगा। बिहार के दर्जनों ऐसे जिले हैं जहां बच्चों के लिए किसी प्रकार का वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है। चिकित्सकों की नियुक्ति बहुत जरूरी है लेकिन उसके साथ साथ अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना सरकार का कर्तव्य है और अगर बात बच्चों की आती है तो हमें लगता है कि सरकार को इसे अपना सबसे ज़रूरी काम समझना चाहिए।
सरकार की तरफ से जानकारी दी गई है कि ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के लिए प्लांट लगाने का निर्देश भी दिया गया है। बताया जा रहा है कि सभी सीएचसी, रेफरल अस्पताल और पीएचसी में ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराया जाएगा। अब आगे देखना होगा कि सरकार बच्चों के लिए और खासकर सरकार की तरफ से जो ऐलान किया गया है, उस पर कितनी गंभीरता से काम होता है। जहां तक बात डॉक्टरों की नियुक्ति की है तो उन्होंने 15 सितंबर 2021 तक का डेट तय किया है लेकिन इसके पहले भी कई बात स्वास्थ विभाग में नियुक्ति को लेकर खबरें आती नहीं है इसी प्रकार से जाती भी रहीं हैं। इस बार भी जब कोरोना का दूसरा लहर आया तब भी तमाम तरह के सवाल पूछे जा रहे थे कि आखिर सरकार यह जानते हुए कि दूसरा लहर आएगा और वह पहले से ज्यादा खतरनाक होगा लेकिन उसके बावजूद से स्वास्थ विभाग में खाली पड़े तमाम पदों को क्यों नहीं भरा गया। फिलहाल देखना होगा कि सरकार कब तक स्वास्थ्य विभाग में खाली पड़े पदों को भरती है।
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