दिल्ली: “मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी है हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।” यह बातें दिल्ली की एक कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा।
दरअसल इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रमुख डॉक्टर जयलाल पर ईसाई धर्म का प्रचार करने और हिंदू धर्म को लेकर गलत टिप्पणी करने की शिकायत पर रोहिणी कोर्ट में सुनवाई हुई।
यह केस रोहित झा के द्वारा जयलाल के ऊपर की गई थी जिसमें कहा गया था कि वे इसाई धर्म को बढ़ावा देने के लिए, हिंदू धर्म के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। रोहित जैन ने इससे संबंधित जयलाल की इंटरव्यू और लेखों पर पाबंदी लगाने की भी मांग की थी।
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इसी के बाद डॉक्टर जयलाल पर हिंदू विरोधी बयानबाजी के चलते केस दर्ज किया गया था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय गोयल ने कड़ी हिदायत दी कि वह आइएमए का इस्तेमाल धर्म प्रचार के लिए नहीं कर सकते हैं। वह जिस भी मजहब को मानते हो, लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। इसके साथ ही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आदेश दिया कि किसी भी संगठन को किसी धर्म का प्रचार का माध्यम बनाना सही नहीं है। ऐसे व्यक्ति से किसी धर्म के बारे में भद्दी प्रतिक्रिया की अपेक्षा नहीं की जा सकती जो आईएमए जैसे संगठन के प्रमुख पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हो।
इस केस में जस्टिस चंद्रचूड़ की बाते का भी उल्लेख किया गया जो उन्होंने नवतेज जोहर के केस में कहा था की “धर्मनिरपेक्षता हमारे संविधान का मौलिक पहलू है भारत मे धर्मनिरपेक्षता के पहलू को जीवित रखने का कर्तव्य किसी एक समुदाय पर नहीं है बल्कि सारे समुदायों पर है।
इसके बाद डॉ जयलाल ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे, जिससे किसी कि भी भावनाओं को ठेस पहुंचे। अपने संगठन का इस्तेमाल किसी धर्म के प्रचार के लिए ना कर स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों के कल्याण के लिए ही करेंगे।
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