पटना: बिहार के अस्पतालों में मरीजों की जान नहीं बचाई जा रही है बल्कि उनके जान का सौदा हो रहा हैं। उक्त बातें दरभंगा में एक बड़े प्राइवेट अस्पताल के करतूतों को बयां करती हैं। जहां अस्पातल में मरीज की मौत होने के बावजूद भी उनके नाम पर बिल बनाया जा रहा था। बिल भी हजार-दो हजार का नहीं बल्कि लाखों का बना दिया गया। ऐसे में ये मामला अवकाश में आने के बाद डीएंम ने सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया हैं।
दरअसल दरभंगा जिले के पारस ग्लोबल अस्पताल की ये काली करतूत उजागर हुई है। जहां मिली जानकारी के अनुसार, 32 साल के दिलीप सिंह को कोरोना होने के कारण उसे पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दिलीप को उसके परिवार ने 21 मई को भर्ती कराया गया था। जहां उसके भर्ती होने के बाद भी अस्पताल ने ना तो उसका रैपिड एंटीजन टेस्ट कराया न ही RTPCR टेस्ट कराया। सिर्फ और सिर्फ अनावसयक दवाईयां दी गई। ऐसे में 9 दिन अस्पताल में रहने के बाद भी दिलीप की हालत और खराब होती गई, जिसका परिणाम निकला की 29 मई को उसकी मौत हो गई। तो वहीं इसके बाद भी अस्पताल प्रसाशन की शर्मनाक हरकत जारी रही और उन्होंने मृतक की मौत होने के बाद भी उसकी दवाईयों का बिल बना दिया।
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तो वहीं इस संबंध में मृतक के पिता ने बताया कि उनके 32 साल के लड़के की मौत हो जाने के बाद अस्पताल ने उनसे दो लाख 27 हजार रुपये की मांग की जबकि वे दो लाख बीस हजार दे चुके थे। उन्होंने जब पैसे जमा करने पर विरोध जताया तो अस्पताल ने शव को देने से इनकार कर दिया। ऐसे में मृतक के पिता के पास पैसे नहीं होने के कराण कबीर सेवा संस्था से शव को संस्कार कराने के लिए संपर्क किया। साथ ही अस्पताल द्वारा किया जा रहा दुर्व्यवहार भी बताया।
कबीर सेवा संस्था को जैसे ही ये जानकारी मिली उन्होंने तुरंत इस घटना के बार में जिलाधिकारी को अवगत कराया। उधर प्रशासन को भी जैसे ही जानकारी प्राप्त हुई उन्होंने शीघ्र अस्पताल प्रशासन को आदेश दिया कि परिजनों को शव दिया जाए। ऐसे में अस्पताल ने बिना कोविड गाइड लाइन का पालन किए हुए शव को ऐसे ही परिजनों को थमा दिया। बाद में शव को कबीर सेवा संस्था के लोगों ने पीपीई किट पहन कर प्लास्टिक में पैक किया और शव का दाह संस्कार किया।
तो वहीं इस मामले पर जिलाधिकारी ने जांच कमेटी की रिपोर्ट पर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई करने की बता कही है। साथ ही कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दे दिए हैं। इसके अलावा अस्पताल द्वारा तय रकम से ज्यादा लिए पैसो में से एक लाख बारह हजार रुपये अस्पताल से रिकवर कर तुरंत पीड़ित परिवार को दिलाने का भी आदेश दिया।
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