पटना: नीति आयोग की रिपोर्ट पर बयानबाजी जारी है। बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहां की नीति आयोग यदि इस आधार पर कोई रैंकिंग जारी करें कि शिक्षा, बिजली, सड़क, पानी, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था और प्रति व्यक्ति आय जैसे मांगों पर किसी राज्य में 10 साल में कितनी प्रगति की है तो इसमें बिहार नंबर वन होगा। सुशील मोदी ने नीति आयोग को नसीहत देते हुए कहा कि आयोग को राज्यों से परामर्श कर विकास की गति मापने वाले नए पैमाने बनाने चाहिए।
राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि नीति आयोग के जिस रिपोर्ट का हवाला दिया जाता है, वह वर्ष 2015-16 के पुराने आंकड़ों पर आधारित है। नीति आयोग को पिछले 10 सालों में की गई विकास के आधार पर रिपोर्ट तैयार करनी चाहिए। इसके अलावा नीति आयोग रिपोर्ट देश के पंजाब, गुजरात जैसे संपन्न राज्य गोवा, उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य और बिहार उड़ीसा जैसे पिछड़े राज्यों की भिन्न-भिन्न आर्थिक भौगोलिक परिस्थितियों का कोई आकलन नहीं करती है। सुशील मोदी ने नीति आयोग को सुझाव देते हुए कहा कि राज्य के संसाधन क्षेत्रफल और आबादी के आधार पर रिपोर्ट तैयार किया जाना चाहिए।
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आपको बता दें कि नीति आयोग की रिपोर्ट पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार पर सवाल खड़ा किए। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार हर क्षेत्र में पीछे है। नीतीश कुमार यह दावा करते हैं कि उन्होंने पिछले 15 16 सालों से राज्य का विकास किया है, फिर उन्हें बताना चाहिए कि बिहार को हर रिपोर्ट में अंतिम पायदान पर क्यों रखा जाता है? उन्होंने कहा कि बिहार बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी सभी क्षेत्रों में पीछे है। राज्य में बिजली का दर देश के अन्य राज्यों से काफी ज्यादा है जिसपर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार भी नहीं बोलते हैं।
नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार को फिसड्डी बताए जाने पर जदयू के नेता ने भी सवाल खड़े किए हैं। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि यह रिपोर्ट प्रासंगिक नहीं है। उन्होंने कहा कि आयोग को विकासशील और विकसित राज्य की कसौटी अलग-अलग बनानी चाहिए। दोनों को एक कसौटी पर रखकर रिपोर्ट बनाना सही नहीं है। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी नीति आयोग की रिपोर्ट पर सवाल उठा चुके हैं।
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