ख्वाब टूट गए हैं नौकरी के इंतजार में,
नजरें झुक गए हैं अपने ही परिवार में,
किसको बताऊं अपना दर्दे दिल का हाल,
अब उम्र भी बीत गया है नौकरी के आस में..
ऊपर जो लाइनें आपने पढ़ा है, ऐसा कहना किसी एक युवा का नहीं बल्कि उन लाखों-करोड़ों युवाओं का कहना है, जो इस दर्द से रोज गुजरते हैं और शर्म करते हैं खुद को पढ़ा-लिखा होने पर। जिस युवा शक्ति के दम पर हम विश्वभर में इतराते फिरते हैं क्या आपको पता है नीतीश जी उस युवा शक्ति का हाल आज अपने प्रदेश में क्या है? क्या आपको पता है की समाज में उन युवाओं की हालत क्या है ? क्या आपको पता है की नौकरी के आस में वो रोज सड़कों पर आंदोलन करते फिरते हैं।
हमें पता है जो आपको पता नहीं होगा, “और पता होगा भी कैसे आपके लिए बेरोजगारी कोई मुद्दा थोड़ी ना है।” आपको तो ये भी पता नहीं होगा कि आपने 15 साल में सिर्फ 6 लाख युवाओं को रोजगार दिया है। अब लगाइए हिसाब और शर्म करिए अपने किए गए कामों पर। जब आप 15 साल में सिर्फ 6 लाख नौकरियां दे पाए हैं तो फिर अगले पांच साल में 19 लाख नौकरियों का वादा अपने कैसे कर दिया।
खैर छोड़िए अब आगे जानिए। क्या आपको पता है कि हमारे बिहार में एक लाख नागरिकों पर सिर्फ 77 पुलिस वाले हैं।
नहीं पता है ना आपको, “लेकिन हमें पता है कि राष्ट्रीय औसत के अनुसार एक लाख नागरिकों पर 151 पुलिसकर्मी होना चाहिए। अगर इस हिसाब से देखें तो फिर पुलिस विभाग में कम से कम सवा लाख से अधिक भर्तियां हो सकती है। “
चलिए अब आगे जानिए? क्या आपको पता है कि बिहार में एक लाख लोगों पर सिर्फ 26 बेड है।
हमें पता है जो आपको पता नहीं है, “लेकिन हमें पता है की राष्ट्रीय औसत के अनुसार कम से कम 138 बेड होना चाहिए। इस हिसाब से बिहार में नर्सों और डॉक्टरों की बेतहाशा जगह खाली है।”
आपको तो यह भी पता नहीं होगा की प्राथमिक स्कूल से लेकर हाईस्कूल और विश्वविद्यालय से लेकर मेडिकल कॉलेजों तक में शिक्षकों की कमी है। यही नहीं, दूसरे राज्यों की तुलना में शिक्षकों का वेतन भी कम है। वेतन भी देर से मिलता है।
नहीं पता है ना आपको, “लेकिन हमें पता है कि बिहार में 38 छात्र पर सिर्फ एक शिक्षक मौजूद हैं हमको यह भी पता है कि बिहार में तीन लाख से ज्यादा शिक्षकों की सीट खाली है। लेकिन आपके लचर व्यवस्था ने इन भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा रखी है। आए दिन शिक्षक अभ्यर्थी रोज सड़क पर उतर कर सरकार के खिलाफ बिगुल फूंक देते हैं लेकिन सरकार के कान में रुई तक नहीं रेंगती है ।”
बिहार में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति क्या है वो आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि 2018 में हुए परीक्षा का परिणाम 2021 तक भी नहीं आ पाता है। यह तो कुछ भी नहीं है ऐसे -ऐसे कई भर्ती प्रक्रिया कई सालों से लटके पड़े हैं। अब आप 94 हजार प्रारंभिक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया ही देख लीजिए । पिछले कई सालों से यह यह भर्ती प्रक्रिया पूरा नहीं हो पाया है।
बिहार में बेरोजगारी का आलम क्या है ये हम और आप बखूबी जानते हैं। आए दिन युवा आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के कारण आत्महत्या कर रहे हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी युवाओं को ठगने का काम बखूबी कर रहे हैं। CMIE के आंकड़ों के मुताबिक बिहार में बेरोजगारी दर 11.9 फीसदी है। CMIE का ये आंकड़ा पिछले साल सितंबर में जारी किया गया था। हमें कहने में थोड़ी भी शर्म नहीं है कि बिहार बेरोजगारी का अड्डा बन चुका है। नीतीश कुमार हो या इससे पहले आरजेडी सबने बिहार में बेरोजगारी की फैक्ट्री डाल रखी है।
देखा जाए तो अभी भी बिहार सरकार में लाखों की संख्या में वैकेंसी खाली है। लेकिन सिहासी महकमे पर बैठे भ्रष्टाचार नेता इन पदों को भी निगल जाना चाहते हैं।
सवाल यह भी है कि इन हालातों में आखिर युवा कहां जाएं, क्या करें, जब उनके पास रोजगार के लिए मौके नहीं हैं, समुचित संसाधन नहीं हैं, योजनाएं सिर्फ कागजों में सीमित हैं। पहले ही नौकरियों में खाली पदों पर भर्ती पर लगभग रोक लगी हुई है, उस पर बढ़ती बेरोजगारी आग में घी का काम कर रही है। पढ़े-लिखे लोगों की डिग्रियां आज रद्दी हो गई हैं, क्योंकि उन्हें रोजगार नहीं मिलता। सरकार को इस मसले को गंभीरता से लेना चाहिए। नए रोजगारों का सृजन करना जरूरी है। युवा देश का भविष्य है तो वह भविष्य अधर में क्यों लटका रहे?