पटना: क्या आपको पता है कि बिहार की राजधानी पटना देश का सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर है? शायद आपको पता होगा। क्या आपने पटना समेत राज्य के शहरों की गुणवत्ता सुधार के लिए कोई प्रयास किया है? और यदि हां तो कितना? और यदि आपने बिहार में प्रदूषण नियंत्रण के लिए कोई प्रयास नहीं किया है तो क्या आप बेहतर बिहार की कल्पना के हकदार हैं? इसके बारे में सोचिएगा। लेकिन, पहले आप 12वीं की छात्रा द्विशोजॉय बनर्जी के बारे में जान लीजिए। जिन्होंने बिहार बिहार को प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए बेहतरीन कार्य किए हैं और वर्तमान में The Soft Move नाम की सामाजिक संस्था चलाती हैं।
पटना की 12वीं कक्षा की छात्रा द्विशोजॉय बनर्जी ने बिहार को प्रदूषण से मुक्त करने की अपनी पहल से नागरिकों के लिए एक मिसाल कायम की है। द्विशोजॉय पुराने अखबारों से पेपर बैग बनाती है और उन्हें छोटे खुदरा विक्रेताओं और रेहड़ी-पटरी वालों को वितरित करती है। प्लास्टिक की थैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद, खुदरा विक्रेता, रेस्तरां और रेहड़ी वाले लोग सामान पैक करने के लिए इसका उपयोग करते हैं। इससे बड़ी मात्रा में कचरा पैदा होता है। इस कचरे की वजह से बिहार की राजधानी पटना आज देश के सबसे प्रदूषित शहर में शामिल है। प्लास्टिक के इस्तेमाल से जितना नुकसान हमारे वातावरण को है इतना ही नुकसान आवारा पशुओं को भी है। बड़ी मात्रा में पशु प्लास्टिक का सेवन करते हैं और इससे कई प्रकार की बीमारियां होती हैं।
इन संस्थाओं ने द्विशोजॉय के कार्यों को सराहा:
द्विशोजॉय बनर्जी अपने कार्यों से पर्यावरण संरक्षण के लिए समाज में लोगों को जागरूक भी करती है। यही वजह है कि उनको देश और दुनिया के कई संस्थानों के साथ काम करने और अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाने का मौका मिला। इसमें CNICEF, Save the Children, We the young और Voice of Youth शामिल हैं। द्विशोजॉय बताती हैं कि सोशल मीडिया ने उनके मुहिम को आगे बढ़ाने में काफी मदद की है और इसके जरिए ही उन्हें इन सभी नामचीन संस्थाओं के साथ काम करने का मौका मिला।
सोशल मीडिया ने मुहिम में निभाया अहम रोल:
द्विशोजॉय बनर्जी बताती हैं कि 2020 में उन्होंने सोशल मीडिया ज्वाइन किया। जहां उनको इस बात से परेशानी हुई कि आजकल के युवा ट्रेंड को फॉलो करने के चक्कर में अपना ज्यादातर समय नकारात्मक चीजों में बर्बाद रहे हैं। तभी द्विशोजॉय ने सोचा कि सोशल मीडिया को क्यों ना सकारात्मक कार्यों के लिए उपयोग किया जाए। इसके बाद उन्होंने ‘The Soft Move’ नाम की स्वयंसेवी संस्था शुरू की और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को अपने संस्था में शामिल होने के लिए प्रेरित करने लगीं। इसके लिए द्विशोजॉय बनर्जी हैशटैग के जरिए स्लेट पर सकारात्मक विचार लिखकर साझा करती है, जो सोशल मीडिया पर वायरल भी होते रहता है।
5 हजार से अधिक युवा हो चुके हैं शामिल:
द्विशोजॉय बनर्जी अपने संगठन के बारे में जानकारी देते हुए बताती हैं कि, The Soft Move अब तक भारत के 17 शहरों में पहुंच चुका है। खास बात है कि इस संगठन में 5 साल के बच्चों से लेकर 60 साल तक के 5000+ सदस्य शामिल हैं। यह एक ऐसा संगठन है जो जमीनी स्तर पर विविधता और प्रभाव पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करता है। 2022 में हमने अपना नया प्रोजेक्ट, पेपर बैग लॉन्च किया, जो अखबारों को रिसाइकिल करके, पेपर बैग बनाकर, और सब्जी विक्रेताओं और छोटे खुदरा विक्रेताओं से प्लास्टिक को दूर करने के लिए अपना योगदान देकर पॉलीथिन बैग के उपयोग को कम करने पर केंद्रित है।
‘The Soft Move’ का क्या है उद्देश्य?
द्विशोजॉय बनर्जी बताती हैं कि “The Soft Move एक ऐसा संगठन जो पॉलिथीन-बैग के उपयोग को कम करने के लिए छोटे विक्रेताओं को वितरण के लिए पेपर बैग बनाकर वितरित करता है। मेरे लिए बदलाव और सक्रियता का अर्थ है जमीनी स्तर पर काम करना और प्रभाव दिखना है। इसलिए मैंने इसे “सॉफ्ट मूवमेंट” नाम दिया है। यह एक नरम बदलाव है, जो नारे नहीं लगाता है। इसका लक्ष्य छोटा सा परिवर्तन है, जो आसानी से जनता तक पहुंच सके और लोगों की मानसिकता को पर्यवरण संरक्षण के लिए प्रेरित कर सके।
एक व्यक्ति के रूप में हमारी जिम्मेदारी:
12वीं की छात्रा द्विशोजॉय बनर्जी की कहानी तो आपने पढ़ी। लेकिन, सोचिए कि एक व्यक्ति के रूप में आपकी क्या जिम्मेदारी है? क्या आपने कभी सोचा है कि बिहार की राजधानी पटना देश की सबसे प्रदूषित शहर क्यों है? मुझे उम्मीद है आपने नहीं सोची होगी क्योंकि यदि आप इसके बारे में सोच पाते तो शायद पटना देश की सबसे प्रदूषित शहर में शामिल नहीं होता। द्विशोजॉय बनर्जी तो अपनी क्षमता के अनुसार बेहतर पर्यावरण और प्लास्टिक फ्री सोसाइटी के लिए कार्य कर रही है लेकिन इनके इस मुहिम में आम लोगों की भागेदारी बेहद जरूरी है। आप अपने स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या कर सकते हैं इसके बारे में सोचिए और कदम बढ़ाइए।