पटना: नीतीश सरकार ने शराबबंदी कानून में संशोधन कर दिया है। बताया जा रहा है कि आज कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। सरकार अब इस संशोधन को विधानसभा और विधान परिषद में ले जाएगी और उसे पास कराएगी। सरकार ने शराबबंदी में संशोधन का फैसला ठीक उसी दिन किया है जिस दिन सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होनी थी। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जवाब देने के लिए 3 सप्ताह का वक्त मांग लिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि कानून में संशोधन कर सरकार सुप्रीम कोर्ट में फजीहत से बचना चाह रही है।
मिली जानकारी के अनुसार आज राज्य सचिवालय में कैबिनेट की बैठक बुलाई गई थी। इस बैठक में शराबबंदी कानून में संशोधन का फैसला लिया गया। हालांकि सरकार की ओर से इस संशोधन के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है। सरकार की ओर से कहा गया है कि विधानसभा और विधान परिषद में इस संशोधन को रखकर पूरी जानकारी दी जाएगी। हालांकि सरकारी सूत्र ने बताया कि शराबबंदी कानून को और सख्त बनाने के लिए इस प्रकार का संशोधन किया जा रहा है। सरकार सुप्रीम कोर्ट में इस बिंदु पर फंस सकती है, उसे देखते हुए फेरबदल किया गया है।
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इससे पहले नीतीश कुमार विधानसभा में कह चुके हैं कि बिहार सरकार शराबबंदी कानून को और सख्त करने जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 5 दिन पहले ही सदन में कहा था कि वह शराब पीने और बेचने वाले को नहीं छोड़ेंगे। शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू कराने के लिए वे कड़ी प्रतिबंध लगाएंगे। मुख्यमंत्री ने सदन में कहा था कि अभी तो ड्रोन से शराब को पकड़ा जा रहा है लेकिन स्थिति नहीं बदली तो वे प्लेन उड़वाकर भी शराब पकड़वाएंगे। इसी बीच पिछले दिनों शराब पकड़ने के लिए मोटर बोट खरीदने का ऐलान भी किया गया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने शराबबंदी कानून के कारण बिहार में कोर्ट-कचहरी का कामकाज बुरी तरह प्रभावित होने से नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने पिछले दिनों बिहार में शराबबंदी कानून पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए जवाब मांगा था। इससे पहले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी खुले मंच से ये कह चुके हैं कि बिहार सरकार ने बिना किसी प्लानिंग के शराब बंदी लागू कर दिया, जिससे पूरी न्याय व्यवस्था चरमरा गई है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष शराबबंदी पर सुनवाई आज होनी थी। लेकिन राज्य सरकार ने कोर्ट में अर्जी देकर मामले को 3 हफ्ते के लिए टलवा दिया है।
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