पटना: जातीय जनगणना बिहार की राजनीति में गले की हड्डी बनती जा रही है। इस बीच जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान पार्षद गुलाम गौस ने कहा कि जातीय जनगणना का विरोध करने वालों को कांग्रेस का हश्र देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट को छिपाए रहने वाली कांग्रेस आज धरातल में चली गई है। खास बात यह है कि बिहार में केवल एक भाजपा के नेता ही जातीय जनगणना के मुद्दे पर बाकी दलों से अलग राय जाहिर कर रहे हैं।
जदयू एमएलसी गुलाम गौस ने कहा कि देश में जाति एक कटु सत्य है और इसे नकारा नहीं जा सकता है। जब सभी राजनीतिक दल जाति के आधार पर ही टिकट वितरण करते हैं, तो फिर जातीय जनगणना से परहेज क्यों? गुलाम गौस ने कहा कि कांग्रेस ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लंबे समय तक दबाकर ठंडे बस्ते में रखा। इस रिपोर्ट को लागू किए जाने को लेकर सांसद में 54 घंटे तक बहस चली थी, लेलीन यह लागू नहीं हो पाई थी। अभी कांग्रेस का हश्र सभी के सामने है।
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जदयू एमएलसी ने कहा कि आज जो लोग जातीय जनगणना के नाम पर सामाजिक समरसता की बात कर रहे हैं, दरअसल वो पिछड़ों का हक करना चाहते हैं। जातीय जनगणना के मामले पर केंद्र सरकार को गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए। यह केवल बिहार ही नहीं देश के पिछड़ों की मांग है। इस मसले पर बिहार के दो प्रमुख दलों जदयू और राजद की राय एक जैसी है, लेकिन भाजपा की राय इसके उलट है। पिछले महीने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आग्रह पर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मिले थे।
सरकार में शामिल एनडीए के दो प्रमुख दल भाजपा और जदयू के नेता जातीय जनगणना के मुद्दे पर आमने-सामने नजर आ रहें हैं। दोनों दलों की राय इस मसले पर बिल्कुल अलग है, लेकिन कोशिश होती रही है कि मामला बीच के रास्ते से सुलझ जाए। जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान पार्षद गुलाम गौस ने बिना नाम लिए भाजपा को कड़े शब्दों में चेतावनी दे दी है। बिहार में भाजपा के नेता के जातीय जनगणना को गैरजरूरी और अव्यवहारिक बता रहे हैं, वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना है कि इसे लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है।
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