पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह दावा करते हैं कि उन्होंने पिछले 16 वर्षों में बिहार में विकास की गंगा बहा दी है। लेकिन नीति आयोग की लगातार आ रही रिपोर्ट बिहार में विकास की अलग ही तस्वीर दिखाती है। आयोग की रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्तर पर विकास के मामले में बिहार सबसे फिसड्डी राज्य दिख रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट जब भी जारी होती है। बिहार में इसको लेकर सरकार घिरते दिखाई देती है। आयोग की रिपोर्ट पर बिहार सरकार की मुश्किलें इस कदर बढ़ गई है कि पिछले 3 महीने में बिहार सरकार ने नीति आयोग को दूसरी बार पत्र लिखकर रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है।
ऊर्जा एवं योजना विकास मंत्री बिजेंद्र यादव यादव ने नीति आयोग के द्वारा जारी रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। रिपोर्ट के संदर्भ में उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को पत्र के साथ 9 पन्ने का ज्ञापन भेजा है। पत्र में हाल में आए नीति आयोग के रिपोर्ट में बिहार को सबसे फिसड्डी राज्य बताए जाने पर आपत्ति जताई गई है। ऊर्जा एवं योजना विकास मंत्री बिजेंद्र यादव ने नीति आयोग को लिखे पत्र में इस बात की आपत्ति जताई है कि यह रिपोर्ट 2015-16 के आंकड़ों पर आधारित है, जो इस वक्त जारी होने से राज्य पर गलत असर डाल रहा है।
मंत्री बिजेंद्र यादव ने आयोग को लिखे पत्र में बताया है कि राज्य में लोगों की वृद्धि दर लगातार बढ़ रही है जिसे आयोग ने रिपोर्ट में शामिल नहीं किया है। उन्होंने आयोग से यह आग्रह किया है कि रिपोर्ट में वर्तमान समय के आंकड़े को लिया जाए, जिससे वर्तमान समय की स्थिति का पता चल सके। पत्र में इस बात की आपत्ति जताई गई है कि आयोग सालों पहले के आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट बनाई है जो बिल्कुल सही नहीं है। मंत्री बिजेंद्र यादव ने कहा कि आयोग को वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
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बता दें कि पिछले महीने नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में बिहार को अधिकतर श्रेणी में सबसे निचले पायदान पर बताया गया है। इस रिपोर्ट की माने तो देश में सबसे अधिक गरीब लोग बिहार में रहते हैं जो कि 52% आबादी है। नीति आयोग की रिपोर्ट में स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। देश में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को सबसे खराब बताया गया है।
रिपोर्ट ने खोली सरकार की पोल :
नीति आयोग के द्वारा जारी रिपोर्ट के बाद बिहार सरकार पर कई प्रकार के सवाल खड़े किए गए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि बिहार के मुखिया यह दावा करते हैं कि राज्य में विकास की गंगा बह रही है। बावजूद इसके बिहार देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुद इस पर जवाब देना चाहिए। तेजस्वी यादव ने कहा था कि नीति आयोग की रिपोर्ट ने नीतीश कुमार के सारे दावे को खारिज कर दिया है और सच्चाई सबके सामने आ गया है। राज्य में बेरोजगारी, स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है और यह हम नहीं बल्कि नीति आयोग की रिपोर्ट कहती है।
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