पटना का नाम सुनते ही सबसे पहला शब्द जो आपके जुबां पर आता है वो है गोलघर । क्या आप इसका इतिहास जानते हैं ? नहीं जानते तो चलिए हम बताते हैं आपको। 20 जुलाई 2021 को यानी कि कल गोलघर 235 साल का हो गया। गांधी मैदान के पश्चिम में स्थित ये ऐतिहासिक धरोहर 235 साल पुराना है।
अनाज के भंडारण के लिए गोलघर का निर्माण कराया गया था। 1770 में आई भयंकर सूखे के दौरान करीब 1 करोड़ लोग भुखमरी से मर रहे थे, इसलिए तब के गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग ने गोलघर के निर्माण की योजना बनाई ताकि गरीबों को अनाज मिल सके। अनाज के भंडारण के लिए ब्रिटिश इंजीनियर कप्तान जॉन गार्स्टिन ने गोल से ढ़ाचे का निर्माण करने का फैसला किया। 20 जनवरी 1784 को गोलघर बनना शुरू हुआ और 20 जुलाई 1786 को यह पूरा बनकर तैयार हो गया। इसमें एक साथ 140000 टन अनाज रख सकते हैं।
गोलघर का आकार 125 मीटर है। इसकी ऊंचाई है 29 मीटर है। सबसे खास बात यह है कि इसमें कोई पिलर नहीं हैI इसकी दीवारें 3.6 मीटर मोटी है। गोलघर के ऊपर 2 फुट 7 इंच व्यास का छेद अनाज डालने के लिए छोड़ा गया है। बाद में इसे बंद कर दिया गया। इसमें 145 सीढ़ियां हैं जिसके सहारे ऊपर जाया जा सकता है, और वहां से पूरा पटना और गंगा का अद्भुत दृश्य आपको देखने को मिलेगा। गुंबद आकार के आकृति के कारण इसकी तुलना मोहम्मद आदिल शाह के मकबरे से की जाती है। गोलघर के अंदर आपकी आवाज़ 27 से 32 बार लौट कर आएगी, जो अपने में काफी अद्भुत प्रतीत होता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इतना बड़ा ऐतिहासिक धरोहर असल में किसी काम का नहीं है, क्योंकि यह जिस उद्देश्य से बनाया गया था वो उद्देश्य ही पूरा नहीं हो पाया। जब इसकी संरचना हुई थी तो इंजीनियर यह भूल गए कि इसके गेट को अनाज के भरने के बाद खोला कैसे जाएगा और गेट को अंदर की तरफ बना दिया जिसकी वजह से ये गेट खुलता ही नहीं था। यह जिस उद्देश्य से बना था वो पूरा ही नहीं हो पाया और यह एक मात्र ढ़ाचें के रूप में रह गया।
पटना का यह एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है । फिलहाल कोरोनावायरस की वजह से यह बंद पड़ा है पर जब भी आप पटना की ट्रीप बनाएं तो गोलघर जरूर जाएँ।