पटना: जनता दल युनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में नीतीश कुमार के कार्यकाल को ‘स्वर्ण काल’ के रूप में याद किया जाएगा। नीतीश कुमार ने विगत पंद्रह वर्षों में जितना काम किया है, वो मिसाल है। दुनिया नीतीश कुमार के द्वारा की गई काम को देख रही है। ललन सिंह ने यह बयान सोमवार को लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व एमएलसी और चिराग पासवान के करीबी विनोद सिंह को जदयू में शामिल करवाने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया।
ललन सिंह नें बिना नाम लिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो खुद नौवीं पास है, वो सरकार और रोजगार के बारे में क्या बात करेगा? नीतीश कुमार ने जब बिहार की सत्ता संभाली थी तब बीते पांच वर्षों से लोक सेवा आयोग की परीक्षा नहीं हुई थी। मगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक साथ पांच वर्षों से लंबित परीक्षा को आयोजित करने का काम किया। उन्होंने कहा कि अपने 17 वर्षों के कार्यकाल में नीतीश कुमार ने जितना रोजगार दिया है वो आंकड़ों में दर्ज है जिसे भी देखना है देख सकता है। नीतीश कुमार ने जब सता संभाली थी, उस समय पुलिस के जवानों की औसत आयु 45 वर्ष थी यानि कि 10 साल से कोई नया जवान नहीं आया (भर्ती हुआ) था, अपहरण उद्योग चलाने वाले दूसरों को क्या शिक्षा देंगे?
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जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान पर राष्टीय जनता दल ने पलटवार किया है। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में जनता ने साफ कर दिया है कि वो किसके साथ है। अगर जदयू और भाजप मिलकर धांधली नहीं करती तो,आज तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री होते। मृत्युंजय तिवारी ने तंज भरे लहजे में कहा कि ललन सिंह नए-नए राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं, नीतीश कुमार को खुश करने के लिए ऐसा बोल रहे हैं, जनता सब जानती है। नीतीश कुमार को बिहार की जनता नकार चुकी है।
वहीं, जदयू का दामन थामने के बाद लोजपा के पूर्व एमएलसी विनोद सिंह ने पार्टी के सभी नेताओं का आभार जताया। उन्होनें कहा कि ‘मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अपना घर में वापस आया हूं। मैं समता पार्टी के समय से कार्य करता रहा हूं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मुझ पर हमेशा प्रेम बना रहा है।’ पुराने समय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2009 में ललन सिंह ने मुझे मधुबनी से चुनाव लड़ाया था। मुझसे बड़ी भूल हुई थी कि 2015 में दूसरी पार्टी में शामिल हो गया था। मुझे वहां उस पार्टी (लोजपा) में घुटन महसूस हुई। क्योंकि वो दल नहीं है, बल्कि वो गिरोह है।
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