पटना: अगर उस राज्य के मुख्यमंत्री को अपना आंख दिखाने दिल्ली जाना पड़े जो दावा करते हो कि हमने तो राज्य में स्वास्थ्य सुविधा को वर्ल्ड क्लास का बना दिया है तो सवाल पूछना जरूरी हो जाता है। जिस राज्य में आंकड़ों को दिखाकर हर समय स्वास्थ्य मंत्री दावा करते हो कि हम भारत में सबसे आगे हैं अगर वहां के मुख्यमंत्री अपनी आंख की समस्या को लेकर दिल्ली पहुंच जाते हैं तो सवाल उठना लाजमी हो जाता है। विपक्ष का कहना है कि केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है तो उसी लिए नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी को आंख दिखाने गए हैं लेकिन हमारे भोले भाले मुख्यमंत्री को तो शायद यह भी पता नहीं होगा कि केंद्र में किसी मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। जिनको लोक जनशक्ति पार्टी के अंदर हुई टूट की जानकारी ना हो, जिनको राज्य की राजनीति में क्या हो रहा है इसकी जानकारी ना हो, उस इंसान को भला इस बात से क्या ही मतलब कि केंद्र के मंत्रिमंडल विस्तार में क्या हो रहा है।
अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे को लेकर विपक्ष के दल भी सवाल पूछ रहे हैं तो दूसरी तरफ खुद उनकी पार्टी के नेताओं ने कई सवाल छोड़ दिए हैं। कुछ दिन पहले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा था कि केंद्र में मंत्रिमंडल विस्तार होगा तो उसमें हम शामिल होंगे लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंत्रिमंडल विस्तार के लिए किसी भी मीटिंग से इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे अपना आंख दिखाने आए हैं और यह उनका निजी यात्रा है लेकिन उनके बयान देने के कुछ घंटे बाद ही इस बात की जानकारी सामने आने लगी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात भाजपा के नेताओं सहित प्रधानमंत्री से भी हो सकती है। खैर यहां तो सिर्फ मुलाकात की बात है, राजनीति में तो कब क्या हो जाए इसका क्या ही अंदाजा है?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल राज्य का विपक्ष पूछ रहा है कि आखिर जब बिहार में इतना अच्छा है हेल्थ सिस्टम है तो मुख्यमंत्री अपना आंख दिखाने दिल्ली क्यों चले गए? बात ठीक भी है कि अगर नीतीश कुमार के इस यात्रा का कोई राजनीतिक मतलब नहीं है तो फिर केवल आंख दिखाने दिल्ली जाने की जरूरत क्यों पड़ गई? अगर बिहार के अंदर मुख्यमंत्री की आंख का सही उपचार भी नहीं मिल सकता तो फिर सरकार किस आधार पर स्वास्थ्य सुविधा को लेकर तमाम तरह के दावे करती रहती है। कांग्रेस पार्टी के नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कहां है कि वे राजनीति की आंख दिखाने दिल्ली गए हैं। अगर वाकई में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आंख दिखाना होता तो बिहार में एक से बढ़कर एक आंख के डॉक्टर हैं।
कांग्रेस पार्टी के नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहां की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आंख खराब हो गई है और आंख खराब होने की देन है कि वह आज गलत राजनीतिक शक्तियों के साथ खड़े हैं। आगे तंज कसते हुए कहा कि हमारी शुभकामना नीतीश कुमार के साथ है कि भी जल्दी से अपना आंख दिखाकर वापस लौटे और जिन को आग दिखाने की जरूरत महसूस कर रहे हैं उन्हें ठीक प्रकार से आंख दिखाकर ही वापस लौटे। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर दिल्ली पहुंचे हैं और वे भाजपा नेताओं को आंख दिखाने पहुंचे हैं ना की आंख का इलाज कराने। आगे प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा कि जो व्यक्ति 16 साल से राज्य का मुख्यमंत्री है वो आंख का इलाज कराने दिल्ली जा रहा है जो स्वास्थ सेवाओं पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से कहा जा रहा है कि यह तो शोध का विषय है की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल का जो विस्तार होना है उसके लिए मोदी सरकार को आंख दिखाने तो नहीं गए हैं? राजद के विधान पार्षद सदस्य सुनील कुमार सिंह ने कहा है कि जब पूरा देश कोरोना संक्रमण के चेन को तोड़ रहा था तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में लोजपा को तोड़ने में लगे थे। राजद के तरफ से सवाल पूछा गया कि कोरोना के समय मुख्यमंत्री बिहार के अस्पतालों में कितने लोगों का हाल जानने गए? दूसरी तरफ लोजपा को लेकर राजद के नेता लगातार नरम रुख अपना रहे हैं।
राजद के तरफ से चिराग पासवान को एक प्रकार का खुला ऑफर दिया जा रहा है साथ आने का और लोजपा में हुई टूट को लेकर लगातार मुख्यमंत्री पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित राजद के अन्य नेता निशाना भी साध रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब लोजपा में हुई टूट को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पब्लिसिटी के लिए मेरा नाम लिया जाता है। इसमें हम लोगों का कोई हाथ नहीं है। वैसे लोजपा के एक मात्र विधायक को जदयू में लाने तथा एक मात्र बसपा विधायक जमां खान को पार्टी में शामिल कराने में भी नीतीश जी का कोई हाथ नहीं था। उन्होंने तो सिर्फ मंत्री पद दे दिया।