पटना: शराब के मामलों से बिहार में कोर्ट का पूरा सिस्टम अस्त-व्यस्त हो जाने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को जमकर फटकार लगाई है। बिहार सरकार शराब के मामलों से जुड़े 40 अपील लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की इन सारी याचिकायें एक झटके में खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस एन वी रमन्ना की खंडपीठ ने बिहार सरकार के वकील की दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि शराब के मामलों ने बिहार में कोर्ट के कामकाज को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है।
दरअसल, बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में उन लोगों की जमानत खारिज कराने गई थी, जिन्हें बिहार पुलिस ने शराब के मामलों में गिरफ्तार किया था लेकिन पटना हाईकोर्ट ने बेल दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एन. वी. रमन्ना की बेंच में ये मामला आया। कोर्ट की बेंच के सामने बिहार सरकार के वकील ने दलील दी कि आरोपियों के पास भारी मात्रा में शराब बरामद हुई थी। शराब की मात्रा को देखते हुए उन्हें दी गई जमानत को रद्द कर दिया जाना चाहिए। बिहार सरकार के वकील मनीष कुमार ने कोर्ट में कहा कि सरकार ने सख्त शराबबंदी कानून बनाया है, जिसमें आऱोपियों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा दिया जाना है। हाई कोर्ट ने ऐसे मामले के आरोपियों को बिना कारण बताये जमानत दे दी है।
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बिहार सरकार के वकील ने कहा कि कुछ आऱोपी 400 से 500 लीटर शराब ले जाते या बेचते पकड़े गए लेकिन उन्हें भी बेल दे दी गई है। वकील की दलील को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट की बेंच ने कहा कि शराब के मामलों ने बिहार में कोर्ट के कामकाज को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। पटना हाईकोर्ट का हाल ये है कि वहां दायर किसी मामले को सूचीबद्ध करने में एक साल लग जा रहे हैं। हालत इतनी खराब है कि पटना हाईकोर्ट के 14-15 जज हर रोज शराब के मामलों में जमानत याचिकाओं की सुनवाई कर रहे हैं। किसी दूसरे मामले की सुनवाई ही नहीं हो पा रही है। ऐसे में उनके द्वारा दी गई जमानत सही होगी।
चीफ जस्टिस की तीखी टिप्पणी :
दरअसल, कोर्ट में बिहार सरकार के वकील ने कहा था कि इन मामलों में बेल नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि बिहार सरकार ने शराब के मामले में सख्त कानून बना दिया है। चीफ जस्टिस एस वी रमना ने कहा कि आपके हिसाब से हमें सिर्फ इसलिए जमानत नहीं देनी चाहिये क्योंकि आपने सख्त कानून बना दिया है। चीफ जस्टिस ने कहा कि मर्डर केस में जमानत दी जाती है औऱ कई मामलों में कोर्ट अग्रिम जमानत भी देती है। आप कह रहे हैं शराब के मामले में जमानत नहीं दी जानी चाहिए। गौरतलब है कि इससे पहले भी देश के मुख्य न्यायाधीश बिहार में शराब के मामलों के कारण कोर्ट का काम बाधित होने पर चिंता जता चुके हैं।
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