पटना: पेड़ों में बांधे धागे को जलाना सीआरपीएफ के कमांडेंट को भारी पड़ गया। सीआरपीएफ के कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह पेड़ो में बांधे धागे को आग लगाकर जला रहे थे, जिसे ग्रामीणों ने देख लिया। ग्रामीणों ने कमांडेंट को पेड़ो में बांधे धागे को जलाते देखकर गुस्सा हो गए और बवाल मचा दिया। प्रेमचंद रंगशाला में हुआ यह मामला इतना बढ़ गया कि बड़ी संख्या में कलाकारों ने हस्ताक्षर कर शिकायत पत्र स्थानीय बहादुरपुर थाना से लेकर डीजीपी और मुख्यमंत्री तक भेज दिया है। कलाकारों द्वारा लिखे पत्र में कहा गया है कि सीआरपीएफ कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह ने हिंदू आस्था से खिलवाड़ किया है।
पत्र में लिखा गया है कि सीआरपीएफ कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह ने संस्कृति कर्मियों के लिए आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया और जातिसूचक शब्दों के साथ दलितों को अपमानित किया। कमांडेंट पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने हिंदू धर्म की आस्था की साथ खिलवाड़ किया। घटना 12 दिसंबर की रात 9:00 बजे के आसपास की है। कमांडेंट मुन्ना कुमार ने जिन धागों को जलाया है उसे हिंदू महिला और सभी रंगकर्मी कलाकारों को ठेस पहुंची है। पत्र में यह भी लिखा गया कि जब गार्ड और वहां मौजूद कुछ लोगों ने कमांडेंट को पेड़ों में बांधे धागे को जलाने से मना किया तो वे नहीं माने और उन्होंने धागे को जला दिया। इस मामले में कमांडेंट पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है।
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वहीं, सीआरपीएफ कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह ने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि पीपल या बरगद के पेड़ में धागा बांधना गलत है। धागा बांधने से पेड़ में कई प्रकार की बीमारी उत्पन्न होती है। इसीलिए पर्यावरण वैज्ञानिकों से जानकारी एकत्रित करने के बाद उन्होंने पेड़ में बांधे धागे को जलाने की मुहिम शुरू किया। उन्होंने कहा कि पेड़ को बचाना जरूरी है और मैं भी भगवान में आस्था रखता हूं। मैं जो काम करता हूं भगवान का नाम लेकर ही करता हूं। आज समय की मांग है कि पेड़ को बचाया जाए। कमांडेंट मुन्ना कुमार सिंह ने कहा कि मैं पेड़ से प्रेम करता हूं और यही वजह है कि पटना के कई इलाकों में मैंने सरकारी पेड़ो पर लगे जाली को भी हटाया। मेरे काम से प्रधानमंत्री मोदी भी प्रभावित है और उन्होंने मन की बात में मेरा नाम लिया है।
हालांकि, पर्यावरण के लिए बरसों से काम कर रहे समीर सिंह ने कहा कि धागा बड़े पेड़ों में बंधा जाता है और इससे पेड़ पर कोई खास असर नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि पेड़ पानी की कमी के वजह से सूखता है ना कि धागा बांधने से। धागा बांधने से यदि पेड़ों को नुकसान होता तो कई पेड़ अब तक गिर गए होते, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। पर्यावरण विशेषज्ञ ने कहा कि पेड़ में दीमक लगने के कई कारण हैं। धागा बायोडिग्रेडेबल होता है और इसीलिए यह जल्द ही स्वयं नष्ट हो जाता है। यदि किसी को पेड़ों की चिंता है तो उन्हें पेड़ में तो पानी देना चाहिए। किसी को ऐसा नहीं करना चाहिए जिससे लोगों की आस्था को ठेस पहुंचे। परंपरा के अनुसार पीपल के पेड़ों में धागा बांधा जाता है और पीपल का पेड़ काफी मोटा होता है।
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