पटना: भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर कमजोर हो गई है, लेकिन एशिया महाद्वीप में अभी कई ऐसे देश हैं जहां संक्रमण लगातार बढ़ रही है। एशिया महाद्वीप आबादी में दूसरा सबसे बड़ा देश भारत है।जिस वजह से भी भारत में अब तक एशिया का सबसे ज्यादा कोरोना मरीज मिले हैं।
अगर वैक्सीन की बात करें तो पूरे एशिया में इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। इस वजह से एशिया में तीसरी लहर की संभावना भी गंभीर रूप से बनी हुई है। वहीं कोरोना वायरस के कई प्रारूप सामने आए हैं। जिसमें डेल्टा वैरिएंट और डेल्टा प्लस वैरिएंट काफी खतरनाक है। जिसके लिए वैक्सीन की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है। जिससे भारत सहित पूरे महाद्वीप में कोरोना संक्रमण को कम किया जा सके।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले हीं आगाह कर दिया है कि डेल्टा प्लस वैरिएंट बहुत खतरनाक हो सकता है। जिसपर शायद वैक्सीन भी बहुत कम असरदार होगी। भारत में विशेषज्ञ भी तीसरी लहर को लेकर एहतियातन बरतने को कह चुके हैं। जिसके लिए जरूरी है कि 70% से 80% लोगों को वैक्सीन लगाई जाए। लेकिन जिस तरह से भारत तथा एशिया महाद्वीप में वैक्सीनेशन की रफ्तार है, संकट बनी हुई है।
एशिया की बात करें तो भारत कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा मामले वाला देश है। यहां अब तक 400000 से भी ज्यादा मौतें हुई हैं। वहीं अमेरिका की दुनिया की सबसे ज्यादा मौत वाली देश में शामिल है। तुर्की भी एशिया में भारत के बाद कोरोना की सबसे ज्यादा मरीजों वाला देश है। जहां संक्रमण के 54 लाख से भी अधिक मामले सामने आए हैं। अच्छी बात यह है कि मौत की संख्या 50000 से भी कम है।
एशिया महाद्वीप में वैक्सीनेशन की बात करें तो कई देश हैं, जहां वैक्सीनेशन की रफ्तार विश्व औसत से काफी कम है। पाकिस्तान मैं अब तक 1.63 करोड़ डोज लगाए गए हैं। वहीं इराक में अब तक करीब आठ लाख से अधिक वैक्सीन लगाई गई है। वहीं भारत सरकार ने कई देशो से आने वाली फ्लाइट पर 15 जुलाई तक प्रतिबंध लगा दी है। जिनमें नेपाल श्रीलंका बांग्लादेश ओमान और पाकिस्तान जैसे कई देश शामिल हैं। भारत में अब तक एक करोड़ से ज्यादा वैक्सीन लगाए गए हैं। गर विश्व के कई ऐसे देश हैं जहां 50% से 60% लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। एशिया महाद्वीप में भी वैक्सीन की रफ्तार बढ़ाने की जरूरत है।
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