पटना: गंगा नदी के 13 घाटों से 67 सैंपल ली गई थी। इन सभी सैंपलों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। उत्तर प्रदेश से बिहार तक की नदी में से सैंपल ली गई थी। जिसका आरटी-पीसीआर रिपोर्ट कराया गया। रिपोर्ट में पता चला है कि कोरोना वायरस गंगा जल में नहीं है, लेकिन कई ऐसे हानिकारक बैक्टीरिया पाई गई है। साथ हीं ऑक्सीजन की मात्रा में भी कमी देखी गई है।
कोरोना की दूसरी लहर में कई लाशों को गंगा नदी में तैरते हुए देखा गया था। जिसके बाद गंगा नदी की पानी की जांच कराई गई। जिसमें पाया गया कि गंगा नदी में कोरोना का कोई अंश नहीं है। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा द्वारा यूपी और बिहार के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और आईआईटीआर लखनऊ की गंगाजलों की जांच कराई गई थी। जिसमें पहले फेज में 24 मई से 6 जून तक सैंपल ली गई। वहीं दूसरी फेज की सैंपल 10 जून से 21 जून के बीच ली गई। जिसकी रिपोर्ट में गंगाजल बिल्कुल कोरोना मुक्त पाई गई है।
आईआईआरटी के प्रभारी ने बताया कि यूपी और बिहार के कुल 13 शहरों से 67 सैंपल लिए गए थे। इसमें 12 जगह गंगा और एक जगह यमुना से सैंपल लिया गया था। जिसके आरटी पीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव आई है। लेकिन कई ऐसे बैक्टीरिया पाई गई है, जो खतरनाक हो सकती है। जिसकी जांच की जा रही है। कुछ स्थानों पर वैज्ञानिकों ने नाव पर चढ़कर बीच धारा से सैंपल एकत्रित किए हैं। वैज्ञानिकों ने रिसर्च में गंगाजल में बायो मेडिकल ऑक्सीजन डिमांड मानव से कही अधिक पाई गई। जिससे जलीय जीवों के लिए अभी कोई खतरा नहीं है, लेकिन स्नान करने से वालों को नुकसान हो सकता है। आने वाले समय में यदि बाओडी ऐसे ही बढ़ता रहा तो यह जलीय जीवों के लिए खतरा साबित हो सकता है।
जांच में पाई गई खतरनाक बैक्टीरिया:
ई-कोलाई बैक्टीरिया इंसान और पशुओं के पेट में पाया जाता है। इसके कई रूप हानिकारक होते हैं। जिससे पेट में दर्द और दस्त लक्षण हो सकते हैं। कई बार इस बैक्टीरिया की वजह से गुर्दा काम करना बंद कर देता है। इस वजह से लोगों की मौत भी हो सकती है।
पहली तीज की जांच में ज्यादातर जगहों पर फिकल स्ट्रेप्टोकोकस नहीं पाई गई है। लेकिन दूसरे फेज की जांच में उत्तर प्रदेश के कई शहर जिनमें वाराणसी, प्रयागराज, गाजीपुर और उज्जैन जैसी जगहों पर फिकल स्ट्रेप्टोकोकस पाई गई है। वहीं बिहार के सारण और भोजपुर में इसकी मौजूदगी देखी गई है