पटना: देश में कोरोना संक्रमण के मामले में कमी आई है। लेकिन विशेषज्ञों की माने तो खतरा अभी टला नहीं है। इसी बीच बिहार से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। बिहार में कोरोना संक्रामण के नए वेरिएंट ओमीक्रोन की तलाश बंद हो गई है। जानकारी के मुताबिक दो शिफ्ट में हुई 72 सैंपल की जांच के बाद बिहार में केमिकल खत्म हो गई है। आईजीएमएस ने ओमीक्रोन की जांच करने से मना कर दिया है। जिसके बाद बिहार में जीनोम का काम पूरी तरह ठप हो गया है।
अब सरकार से कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन में उपयोग होने वाली केमिकल को मुहैया कराने के लिए या अन्य राज्यों से लाने के लिए बजट मांगा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर ही आईजीएमएस में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन की तलाश के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग कराई जा रही थी। लेकिन अब केमिकल नहीं मिलने के कारण आईजीएमएस ने जिनोम सीक्वेंसिंग करने से अपना हाथ खड़ा कर दिया है। इसी बीच यह खबर भी सामने आई है कि सरकार राज्य में एक और जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए मशीन लगाने की तैयारी कर रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब एक ही मशीन के केमिकल की व्यवस्था नहीं हो पा रही है तो दूसरी को सरकार कैसे संचालित करेगी।
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जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना वायरस के नए वैरीअंट ओमीक्रोन का पता लगाने के लिए जिनोम सीक्वेंसिंग कराई जाती है। इसके लिए जिस केमिकल का प्रयोग होता है वह काफी बन जाता है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर आईजीएमएस अस्पताल में जिनोम सीक्वेंसिंग का कार्य चल रहा था लेकिन अब केमिकल खत्म हो गया है। इसके बाद अस्पताल ने हाथ खड़े कर दिए हैं। 3 जनवरी को पहली बार आईजीएमएस में जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए सिंपल लाया गया। जिसके बाद दो शिफ्ट में जिनोम सीक्वेंसिंग का काम हुआ। लेकिन अब इस में प्रयोग होने वाला केमिकल खत्म हो गया है, जो बड़ा सवाल बना हुआ है।
कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन का पता लगाने के लिए बिहार में कभी व्यवस्था की जाएगी, इसका कोई पता नहीं है। सबसे बड़ा सवाल है कि कब केमिकल आएगा और फिर कब जिनोम सीक्वेंसिंग होगी, इसकी जानकारी संस्थान की कर्मचारियों को भी नहीं है। आईजीएमएस के डॉक्टरों का कहना है कि केमिकल आने के बाद फिर जिनोम सीक्वेंसिंग शुरू किया जा सकता है। इन सबके बीच विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का केस देश में और राज्य में भले ही कम हो रहे हैं लेकिन ऐसे समय में संक्रमण के म्यूटेशन का खतरा है होता है। अगर जिनोम सीक्वेंसिंग होती रहेगी तो संक्रमण के म्यूटेशन को पकड़ने में आसानी होगी।
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