पटना: कोरोना वायरस महामारी के दौरान बिहार में मौतों की आंकड़ों में बड़ा अंतर सामने आया है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि राज्य में कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के तहत पिछले वर्षों की तुलना में 2 लाख 51 हजार अधिक मौतें दर्ज की गई हैं, जबकि राज्य में कोरोना संक्रमण से मौत का आधिकारिक आंकड़ा मात्र 5163 है। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, संकट के दौरान हुई कुल मौतों और आम हालात में हुई अपेक्षित मौतों की तुलना में मिले अंतर को एक्सेस मोर्टेलिटी कहा जाता है।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में सीआरएस के तहत दर्ज अत्याधिक मौतों की संख्या कोरोना के आधिकारिक आंकड़ों से 48.6 फीसदी ज्यादा है। बता दें कि आंकड़ों के विश्लेषण के लिए महामारी से पहले के समय तक के सीआरएस डेटा का औसत निकाला गया था। महामारी की शुरुआत के पहले की चार साल की अवधि (2015-2019) की तुलना में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के बाद से 2 लाख 51 हजार 53 ‘अधिक मौतें’ हुई। इनमें से 1 लाख 26 हजार ऐसी अधिक मौतें 2021 के शुरुआत में दर्ज की गई थीं, जबकि, इस अवधि में कोरोना संक्रमण से कुल 3 हजार 766 मौत हुई थी।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार कोरोना संक्रमण में मौतों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों से दो-तीन गुना ज्यादा हो सकती है। इसके अलावा सीआरएस के आंकड़ों में इजाफे का कारण देश में मौतों के आंकड़े पंजीकृत होने में सुधार भी है। रिपोर्ट में सीआरएस 2019 ‘वाइटल स्टेटिस्टिक्स’ पर वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, जब देश में केवल 20.7 फीसदी मौतें ही चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित थी, तो भारत में मौतों का पंजीकरण सुधरकर 90 प्रतिशत से ज्यादा हो गया है।
बता दें कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा है कि वे सीआरएस डेटा पर टिप्पणी नहीं कर सकते, लेकिन कोरोना संक्रमण से संबंधित सभी मौतें डीएम और सिविल सर्जन की तरफ से सत्यापित है। इससे पहले सदन में कोरोना संक्रमण की आंकड़ों को बताते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि देश में ऑक्सीजन की कमी के कारण देश में एक भी मौत नहीं हुई है।
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