कितने गिर सकते है हम? मतलब गिरने का एक सीमा होता है। कल हम बात कर रहे थे मुस्कानवा, पुजवा, अनुष्का, आलिया मतलब की किसी लड़की का नाम लेकर या फिर किसी सेलेब्रिटी का नाम लेकर गाना गाने का कितना गंदा ट्रेंड चल रहा है भोजपुरी में। आज खेसारी लाल यादव की बेटी को लेकर किसी ने गाना गाया है और अब आप भी देख रहे होंगे कि सोशल मीडिया पर तमाम तरह की टिप्पणियां की जा रही है। सबसे हैरानी की बात तो है कि कुछ लोग इस चीज का भी समर्थन कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं क्योंकि वह किसी दूसरे गायक या सुपर स्टार के फैन हैं। यह तथाकथित फैन ही है जो कभी किसी का समर्थन करते है तो कभी किसी का। शर्त बस इतनी होनी चाहिए कि वो जिसका समर्थन कर रहे है उसने उनके पसंदीदा अभिनेता या फिर गायक को कुछ ना कहा हो। याद रखिए कि आज आप जिस गलत का समर्थन कर रहे हैं वो घूम कर आपके पास भी आएगा और फिर दूसरे वाले उस समय पीछे से उसका समर्थन कर रहे होंगे।
हम बात की शुरुआत शुरू से करेंगे। खेसारी लाल यादव एक गाना गाया ‘चाची के बाची’ सपनवा में आती है। इसमें कोई शक नहीं है कि गाने का नाम सुनकर आपको बुरा लग सकता है और बुरा लगना भी चाहिए क्योंकि हमें ऐसे शब्दों के उपयोग से बचना चाहिए। हालांकि जब विवाद बढ़ा तो गाने के राइटर अखिलेश कश्यप ने वीडियो बनाकर कहा कि इसमें कुछ बुरा नहीं है बल्कि इसमें सिर्फ इतना दिखाया गया है कि लड़का अपनी गर्ल फ्रेंड के मम्मी को चाची कह रहा है और उनकी बेटी को बाची। भले ही पूरा गाना सुनने के बाद आपको गाना इतना गंदा ना लगे लेकिन केवल टाइटल सुनने से लोगों के मन में ऐसा ख्याल जरूर आया।
और पढ़े: खेसारी लाल के बाद पवन सिंह मचाने वाले हैं फ़नी सांग से धमाल!
अब भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री में बदला लेने का भी अलग ही कॉन्सेप्ट है। मतलब अगर भारत क्रिकेट हार जाएगा तो हम अनुष्का नाम पर ऐसे-ऐसे गाने बनाएंगे की यूपी-बिहार की हजारों अनुष्का नाम की लड़कियां सोचने लगेंगी की मां-बाप ने यह नाम रखा ही क्यों? मान लेते है कि खेसारी लाल यादव के गाने का बोल किसी को पसंद ना आया हो लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि हम खेसारी लाल यादव के बेटी पर बकवास गाना बनाएं और उसे बकायदा यूट्यूब पर रिलीज करें। हम बेशक मानते हैं कि ऐसे गाने सुनकर लोगों को बुरा लग सकता है और हम यह भी बोलते हैं कि ऐसे गानों से किसी भी बड़े अभिनेता और गायक को परहेज करना चाहिए लेकिन अगर किसी ने ऐसा गाया तो उसकी बेटी, पत्नी और अन्य घर के लोगों पर गाना निकालना इसका हल है? भोजपुरी में एक चीज और खूब होता है कि आप बड़े अभिनेता और गायक के लिए गंदे शब्दों का उपयोग कर कोई गाना गाइये और रातों-रात वायरल हो जाइए।
इसमें भी सबसे खास बात है कि आपको एक धड़े का पूरा समर्थन भी मिल जाएगा। एक और दिक्कत है कि हम हर चीज में जाति ढूढ़ लेते हैं। जैसे कि जिस लड़के ने खेसारी लाल यादव की बेटी पर गाना गाया है उसका नाम पंकज सिंह लिखा गया है और इस आधार पर लोग अपने मन में मान लेते है कि यह गायक फलनवा जाति का है और अगर इसे किसी ने कुछ कहा तो वो हमारे जाति पर सवाल उठाने के बराबर होगा।
अभी कुछ दिन पहले मुझे बड़े अच्छे से याद है कि नीलकमल सिंह ने अक्षरा सिंह के बारे में अभद्र गाना गाया और जब हमने खुद नीलकमल सिंह के बारे में गलत बोला उनके गाने पर सवाल उठाया तो कुछ लोग कमेंट में आकर लिख रहे थे कि फलनवा जाति का पूरा सपोर्ट है नीलकमल सिंह के साथ। जय हो! कुछ लोग लिख रहे थे कि फलनवा जाति के हैं नीलकमल सिंह इसी लिए टारगेट किया जा रहा है, उन्हें फंसाया जा रहा हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि कोई भी गायक और अभिनेता अपनी जाति का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है तो सबसे अच्छा यही रहेगा कि गायक को गायक और गलत को गलत के तौर पर ही लें ना कि फलनवा-चिलनवा जाति के तौर पर।
अगर खेसारी लाल ने गलत गाया है तो उनको कहिए लेकिन उनकी बेटी या फिर किसी और को लेकर बेकार गाना बनाना ठीक नहीं हैं। हम तो आखिरी में सबसे आग्रह करना चाहेंगे कि चाहें वह पवन सिंह हो या फिर खेसारी लाल यादव हों या फिर रितेश पांडेय हो। सभी बड़े गायकों को गाना गाने के पहले उसके चुनाव पर विशेष ध्यान देना चाहिए और आखिरी में हम सबको ध्यान देना होगा कि हम जाति के नाम पर किसी भी गलत-सही चीज का समर्थन करना छोड़ दें। प्रमोट कीजिये बेशक भोजपुरी को क्योंकि हम सब चाहतें है कि भोजपुरी फ़िल्म इंडस्ट्री एक बड़ी इंडस्ट्री बनें लेकिन अगर यह सब चलता रहा तो अश्लीलता वाला दाग हमारे उपर से कभी नहीं हट सकता।