वो कहानी क्या , जिसमें दर्द नहीं ।
रजाई की अहमियत क्या , जब रात सर्द नहीं ।
आज ‘ व्यक्ति विशेष ‘ में कहानी भोजपुरी इंडस्ट्री के सलमान खान माने जाने वाले सुपर स्टार पवन सिंह की । 5 जनवरी , 1986 की तारीख़ और आज ही की तरह दिन था रविवार । उसी दिन पवन का जन्म हुआ था । तब गाड़ी घोड़ा का प्रचलन भी कम था और इंटरनेट का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं था । नन्हा पवन कोलकाता में 6 साल की उम्र में स्कूल पढ़ने जाता था । रास्ते में जोर – जोर से चिल्ला कर भोजपुरी गीत गाता था । अगर भोजपुरी से जुड़ाव रहा है तो मुन्ना सिंह का गाना ‘ नथुनिया पर गोली मारे ‘ और ‘ मारे मरदा के मेहरिया गजब हुई गवा ‘ आपने सुना होगा । इन्हीं दो गीतों को पवन अक्सर गुनगुनाता था ।
जो भी अंकल , आंटी और भैया ,भौजाई उन्हें सुनते थे , सब पवन की गायकी के प्रशंसक हो जाते थे । दरअसल पवन के चाचा अजीत सिंह अलग-अलग जगह भोजपुरी गीतों का स्टेज शो करते थे और लोग उन्हें बहुत मान – सम्मान देते थे । जब एक बार अजीत टाटा से शो कर वापस लौटे तो लोगों ने उन्हें भतीजे की कारस्तानी बताई । भूतनाथ मंदिर में कार्यक्रम रख दिया गया और पवन से गाने के लिए कहा गया । बच्चे थे तो पूरा गाना सब नहीं आता था लेकिन हर गीत का 2-4 लाइन गाकर ही खेला कर दिए । चाचा बुझ गए कि भतीजा में बहुत जान है ।
साइकिल पर बैठाकर 30 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय करते थे और रात में पवन का स्टेज शो होता था । बच्चे थे तो जल्दी नींद आ जाती थी । ऐसे में चाचा जी आँख में पानी मार कर होश में लाते थे । आरा और आसपास के जिलों में बात फैल चुकी थी कि एक छोटा सा लड़का है , जो भोजपुरी गाने में कहर बरपा रहा है । डाल्टेनगंज के एसपी का विदाई समारोह था , पवन को स्टेज शो के लिए बुलाया गया । बस , पवन के नाम का भौकाल हो गया । माइक सेट करने वाले ने पूरे शो की रिकॉर्डिंग कर ली और ‘ ओढनिया वाली ‘ नाम से कैसेट भी निकाल दिया ।
अगले 3 वर्षों तक जो भी पवन के घर उनके पिता अथवा चाचा से मिलने आता था , सब कहता था कि हम पवन सिंह का कैसेट सुने हैं । इधर सब हैरान परेशान कि कैसेट निकाले नहीं , ससुरा बज कैसे रहा है ? पोल खुला तो पड़ोसी कहा कि अगर इतना बज रहा है तो तरीके से कैसेट निकाल देते हैं । पड़ोसी पहुंच गया दिल्ली और स्टूडियो में मिक्सिंग करवा कर ‘ ओढनिया वाली ‘ नाम से कैसेट निकाल दिया । तहलका मच गया ।
ज़िंदगी बदलने लगी और ‘ कांच कसइली ‘ एलबम बहुत चला । पर 2007 में जब ‘ लॉलीपॉप लागेलू ‘ वाला गाना आया तो पवन सिंह एक ही बार में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायक बन गए । दरअसल इस गीत में उन्हें अपनी प्रेमिका की कमर लॉलीपॉप की तरह दिखाई पड़ती है और पूरे गीत में वे प्रतीकात्मक तौर पर लॉलीपॉप चूसते हुए नजर आते हैं । बाकी दर्शक समझ गया । ऐसा है कि जैसे-जैसे वक्त बदलता गया , पवन को औरतों की नाभि से बहुत मोहब्बत होती गई । अब तो जब देखिए , उंगली करने लगते हैं । लॉलीपॉप चल गया था तो ‘ सुहागरात ‘ भला कैसे छोड़ देते ?
जब मैं आई सुहागवाली रात रे
उसने चुम्मा से किया शुरुआत रे
पहले घूंघटा उठाया
फिर बेड पर सुलाया और
कमर में दरद दिया
रात दिया बुता के पिया क्या-क्या किया
कालजयी गीत में दीया बुझाने की प्रक्रिया के बाद क्या सब हुआ , इस पर विशेष रूप से फोकस है ।
छलकता हमरो जवनिया ऐ राजा
जैसे के बाल्टी के पनिया हो कुछ कली,
ये रानी हमहू ओवरलोड बानी हो, आव ध लीं।
इस सदाबहार गीत में हमें खटिया के अलग -अलग इस्तेमाल की विधि बताई गई है । अभिनेत्री काजल राघवानी जी की छलकती जवानी के सामने पवन सिंह को काबू में रह पाना मुश्किल हो गया और भोजपुरी इंडस्ट्री का सुपरस्टार अश्लीलता की हर हद पार करने पर तुल गया । पता नहीं भोजपुरी गीतों के हिट होने का पैमाना यह कब से हो गया कि लड़की को मांस का टुकड़ा समझा जाए , जिसे देखकर पुरुष उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए व्याकुल हो उठे ।
जब किसी इंटरव्यू में उनसे भोजपुरी फिल्मों व गीतों के जरिए फैलाई जा रही अश्लीलता पर सवाल किया गया तो जवाब आया कि हम देवी के कैसेट और सावन के गीत भी गाते हैं । वो अलग बात है कि सावन वाले गीत में हुक्का पीकर खुद को भोलेनाथ का भक्त साबित करने की कोशिश करते हैं । कहते हैं कि शास्त्रीय गीत गाएंगे तो कोई नहीं सुनेगा । हम अकेले क्या कर सकते हैं ? कुछ इंसानों की नजर भी खराब होती है । यह जरूरी नहीं है कि जो गीत सुनने में खराब है , उसका अर्थ भी खराब होगा । कोई भी कितना ही घटिया फिल्म बनाए , अंत तो उसका अच्छे से ही होता है । अंत कोई नहीं देखता है , बुराई ही देखता है ।
ध के दोनों कलइया
हमर ललइया चूस ए राजा जी
इस गीत में अक्षरा सिंह जी के साथ पवन सिंह कुछ नहीं कर रहे हैं । आप लोगों के कान खराब हैं और आँँखें सिर्फ गंदी चीजें खोजती है । गीत तो इतना शानदार है कि सुनकर कलेजे को सुकून मिल जाए । पवन भैया तो देव मानुस हैं , आपलोग जबरन उनपर इल्जाम लगाते रहते हैं ।
कौन कहा कि शादी कर लेने के बाद भी पवन अक्षरा सिंह के साथ अपना रिश्ता जारी रखने के लिए दबाव बना रहे थे ? पता नहीं कैसे कुछ फोटो वगैरह सोशल मीडिया पर आया है , जिस कारण उन पर एफआईआर भी दर्ज हुआ था ? अक्षरा चिल्ला चिल्ला कर कहती रहती हैं कि उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया ? हालांकि ये अलग बात है कि पहले दोनों बहुत करीब थे । स्टेज शो वगैरह में भी पवन सिंह कई बार उन्हें असहज महसूस करा दिया करते थे , तब अक्षरा सुपरस्टार के सामने जुबान खोलने से हिचकिचाती होंगी ।
पूरी कहानी तो पुलिसिया जांच के बाद ही सामने आएगी लेकिन इतना तो किया ही जा सकता है कि भोजपुरी फिल्मों को अश्लीलता परोसने का अड्डा बनने से रोका जाए । गीत और अभिनय के नाम पर सॉफ्ट पॉर्न परोसने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती । उसको भी नहीं , जो रोड पर चिल्ला – चिल्ला कर गाते हुए फेमस हो गया । दरअसल भोजपुरी किसी की बपौती नहीं है , कि सिर्फ उसी की बात का सिक्का चलेगा । अपनी भाषा को समृद्ध करने का दायित्व हम सबका है और हमें ही यह भूमिका निभानी होगी । उम्मीद है कि अब पवन सिंह अश्लीलता से तौबा करेंगे , आखिर भोजपुरी फिल्मों को भी अपने लाडले से कुछ बढ़िया की उम्मीद है ।