मुंबई: मुझे नहीं पता कि फिल्मी दुनिया में कैसी राजनीति होती है? मुझे नहीं पता कि आजकल कार्तिक आर्यन के साथ क्या कुछ हो रहा है। मुझे नहीं पता कि जब कोई बाहरी बॉलीवुड में जाता है तो उसके साथ कैसा सलूक किया जाता है लेकिन इस चीज का अफसोस जरूर रहेगा कि बिहार के किसी लड़के ने मुंबई में बैठे कुछ चंद लोगों की राजनीति के सामने अपना घुटना टेक दिया। इस पर बहुत लंबी बहस हो सकती है कि बिहार का लड़का ने उनके सामने घुटना टेक दिया या फिर उसे घुटना टेकने के लिए मजबूर कर दिया गया। हम सब एक साल से इस बात पर बहस कर रहे हैं कि 14 जून 2020 को सुशांत के साथ जो हुआ उसका दोषी कौन है लेकिन हमारे पास अभी भी इसका कोई जबाब नहीं है।
हां, हमारे पास तर्क ज़रूर है लेकिन उन तर्कों के सहारे हमें कुछ हासिल होने वाला नहीं है क्योंकि अगर सरकार, पुलिस, सीबीआई को कुछ करना होता, ढूढना होता तो अब तक इसे किया जा चुका होता। सुशांत सिंह राजपूत के बारे में आज जब सोचना शुरू किया तो उनकी आखिरी फ़िल्म का एक डॉयलाग याद आ गया। सुशांत अपनी आखिरी फ़िल्म दिल बेचारा में कहते हैं कि ‘जन्म कब लेना है और मरना कब है ये हम डिसाइड नहीं कर सकते लेकिन कैसे जीना है वो हम डिसाइड कर सकते हैं’ लेकिन दुःख इस चीज का है कि सुशांत ने अपनी ही बात को गलत साबित कर दिया। अगर असल में ऐसा होता कि कोई कब मरेगा इसका डिसीजन वो नहीं ले सकता तो मुझे पूरी उम्मीद है कि आज हम सुशांत सिंह राजपूत को नई-नई फिल्मों में नए-नए डायलॉग्स के साथ देख और सुन रहे होते।
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सबसे पहले तो आज सुशांत सिंह राजपूत को हम नमन करेंगे। शायद ही कोई ऐसा दिन होता होगा सप्ताह में जब सुशांत सिंह राजपूत का नाम ट्विटर पे ट्रेंड ना करता हो। हर रोज किसी ना किसी चीज को लेकर सुशांत के फैंस सोशल मीडिया पर लिखते रहते है लेकिन क्या सुशांत ने अगर सुसाइड किया तो क्यों किया इस चीज पर पुलिस या सीबीआई के तरफ से कुछ कहा गया है? क्या पिछले 1 साल से महाराष्ट्र पुलिस या फिर सीबीआई इतना पता लगाने में भी सक्षम नहीं है कि अगर कोई व्यक्ति सुसाइड करता है तो इसका क्या कारण हो सकता है? ऐसा तो है नहीं कि कोई इंसान अचानक से एक दिन सो कर उठेगा और फिर बिना किसी कारण के सुसाइड कर लेगा।
पिछले साल 5 अक्टूबर को दिल्ली एम्स ने सीबीआई को सुशांत सिंह राजपूत से जुड़े वो मेडिकल रिपोर्ट्स सौंपे थे जिसके अनुसार सुशांत सिंह राजपूत ने सुसाइड ही किया था। पुलिस की तरफ से घटनास्थल पर उस सीन को रिक्रिएट भी कराया गया था जहां सुशांत ने खुद को फंदे से लटकाया था। इसके बाद भी बताया गया कि सुशांत को किसी ने मारा नहीं है बल्कि उन्होंने सुसाइड किया है। हम मान लेते हैं कि सुशांत ने सुसाइड किया था लेकिन क्या पिछले एक साल के दौरान पुलिस इतना तक पता नहीं लगा सकी की उनके सुसाइड करने का कारण क्या था और इसके पीछे किन लोगों का हाथ था? मुझे भारतीय जनता पार्टी के वो सारे नेता याद आ रहे हैं जो हर घंटे सोशल मीडिया पर आकर लिख रहे थे कि सुशांत की मौत के पीछे बॉलीवुड का माफिया गैंग है लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद और केंद्र से लेकर बिहार तक भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में होने के बावजूद अब तक यह जांच कितनी आगे बढ़ जा पाई है क्या कोई भाजपा का नेता इसके बारे में बता सकता है। अगर भाजपा के नेताओं को उस समय सब कुछ मालूम था तो फिर आज केंद्र में सरकार होने के बावजूद सीबीआई क्यों नहीं उन असली दोषियों को पकड़ सकी जिसके कारण सुशांत ने इस दुनिया को छोड़ना ठीक समझा।
अगर कोई ऐसा सोच रहा है कि सुशांत के जिन तथाकथित करीबियों को कुछ दिनों तक जेल में रखा गया था उन्हें सुशांत के मौत के आरोप में रखा गया था तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी में हैं। जितने भी लोगों से पूछताछ हुई है और उन्हें पुलिस ने हिरासत में लिया है उन सब के ऊपर ड्रग्स लेने का आरोप लगा है और इसी केस में रिया तथा रिया के भाई को भी जेल में रखा गया था। मतलब कुल मिलाकर सुशांत ने जब सुसाइड किया और उसके बाद जब जांच की मांग उठी तब भले ही सीबीआई ने जांच शुरू की हो लेकिन अब तक सीबीआई के तरफ से कोई ठोस बात निकलकर सामने नहीं आ सकी है।
बिहार चुनाव के पहले भी सुशांत के नाम पर अलग-अलग पार्टियों की तरफ से वोट बटोरने की खूब कोशिश हुई लेकिन इन सबके बीच सुशांत के मौत का असली मुद्दा ही कही खो गया। मुद्दा कोई बचा है तो बॉलीवुड में ड्रग्स का और बाहरियों के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार का। तमाम तरह की चुनौतियों से लड़ते हुए इतना बड़ा नाम बनाना सुशांत के लिए आसान नहीं था और सुशांत को इस बात के लिए शुक्रिया की उन्होंने सैकड़ो युवाओं को बताया कि बाहर से जाकर भी बॉलीवुड में अपने लिए एक अलग स्थान बनाया जा सकता है। उन्होंने बिहार के उस लड़के को सपना देखना सिखाया की बॉलीवुड में वह भी अपने लिए जगह बना सकता है। सुशांत का एक डायलॉग है कि ‘तुम्हारा रिजल्ट डिसाइड नहीं करता है कि तुम लूजर हो या नहीं, तुम्हारी कोशिश डिसाइड करती है’। अभी भी सोच रहा हूं कि क्या सुशांत ने उस दिन थोड़ी भी कोशिश नहीं की?
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