दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई, याचिका पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को जारी किया नोटिस। यह याचिका आंतरिक मूल्यांकन में बदलाव लाने के लिए किया गया है।
पटना: ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल को कोरोना के चलते दसवीं बोर्ड की परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया था, और इसके साथ ही निर्देश दिया था कि सभी बच्चों का रिजल्ट स्कूल के आंतरिक मूल्यांकन के ऊपर ही बनाया जाएगा।
याचिकाकर्ता एडवोकेट शिखा शर्मा ने कोर्ट को बताया कि बच्चों का आंतरिक मूल्यांकन पिछली कक्षा के मार्क्स के आधार पर किया जाएगा। इसके साथ ही याचिकर्ता ने कोर्ट में गुहार लगाई की फाइनल रिजल्ट प्रसारित करने के पहले स्कूल के वेबसाइट पर बच्चों के मार्क्स अपलोड किए जाए, जिससे बच्चों को अगर दिक्कत हो तो वह अपने स्कूल से संपर्क कर सके।
इसके साथ ही इस याचीका मे मांग की गई है कि सभी स्कूल अपने वेबसाइट पे 11वीं कक्षा में संकाय की चयन परिक्रिया को भी अपलोड करें।
साथ ही इस याचिका में यह भी कहा गया है कि, सीबीएसई स्कूलों की पिछली तीन साल की परफॉर्मेंस पर गौर कर रहा है, ना कि हर एक बच्चे पर। और इस साल के बच्चों को पिछले साल पास हुए बच्चों के मार्क्स के उपर मापना गलत होगा और ये संविधान के अनुछेद 19 और 21 के खिलाफ़ है।
सीबीएसई की इस फैसले से बहुत सारे छात्रों को कम अंक मिलने की संभावना है। इस आंतरिक मूल्यांकन के वजह से 10वीं की परीक्षा उनके स्कूल से पास कर चुके छात्रों के आधार पर ही वर्तमान के 10 वीं के छात्रों को अंक प्रदान की जाएगी। इससे अगर किसी स्कूल का पिछले वर्ष अगर रिजल्ट अच्छा न हुआ हो तो, उसका असर इस वर्ष के छात्रों पर भी पड़ सकता है।
इस असमंजस की स्तिथि को दूर करने के लिए एडवोकेट शिखा ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया और न्यायलय से अनूरोध किया की, ऐसा आदेश दे कि आंतरिक मूल्यांकन के नियम में बदलाव लाया जाए। इससे छात्रों की परेशानी दूर होगी और सब के साथ न्याय होगा।
10वीं बोर्ड के मार्क्स को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका।
सीबीएसई 10वीं बोर्ड के मूल्यांकन की प्रक्रिया को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका।
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को जारी किया नोटिस। यह याचिका आंतरिक मूल्यांकन में बदलाव लाने के लिए किया गया है।
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने 14 अप्रैल को कोरोना के चलते दसवीं बोर्ड की परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया था, और इसके साथ ही निर्देश दिया था कि सभी बच्चों का रिजल्ट स्कूल के आंतरिक मूल्यांकन के ऊपर ही बनाया जाएगा।
याचिकाकर्ता एडवोकेट शिखा शर्मा ने कोर्ट को बताया कि बच्चों का आंतरिक मूल्यांकन पिछली कक्षा के मार्क्स के आधार पर किया जाएगा। इसके साथ ही याचिकर्ता ने कोर्ट में गुहार लगाई की फाइनल रिजल्ट प्रसारित करने के पहले स्कूल के वेबसाइट पर बच्चों के मार्क्स अपलोड किए जाए, जिससे बच्चों को अगर दिक्कत हो तो वह अपने स्कूल से संपर्क कर सके।
इसके साथ ही इस याचीका मे मांग की गई है कि सभी स्कूल अपने वेबसाइट पे 11वीं कक्षा में संकाय की चयन परिक्रिया को भी अपलोड करें।
साथ ही इस याचिका में यह भी कहा गया है कि, सीबीएसई स्कूलों की पिछली तीन साल की परफॉर्मेंस पर गौर कर रहा है, ना कि हर एक बच्चे पर। और इस साल के बच्चों को पिछले साल पास हुए बच्चों के मार्क्स के उपर मापना गलत होगा और ये संविधान के अनुछेद 19 और 21 के खिलाफ़ है।
सीबीएसई की इस फैसले से बहुत सारे छात्रों को कम अंक मिलने की संभावना है। इस आंतरिक मूल्यांकन के वजह से 10वीं की परीक्षा उनके स्कूल से पास कर चुके छात्रों के आधार पर ही वर्तमान के 10 वीं के छात्रों को अंक प्रदान की जाएगी। इससे अगर किसी स्कूल का पिछले वर्ष अगर रिजल्ट अच्छा न हुआ हो तो, उसका असर इस वर्ष के छात्रों पर भी पड़ सकता है।
इस असमंजस की स्तिथि को दूर करने के लिए एडवोकेट शिखा ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया और न्यायलय से अनूरोध किया की, ऐसा आदेश दे कि आंतरिक मूल्यांकन के नियम में बदलाव लाया जाए। इससे छात्रों की परेशानी दूर होगी और सब के साथ न्याय होगा।