सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह टीकाकरण नीति से जुड़ी सारे दस्तावेज व फाइलों की रिपोर्ट तैयार कर रखें।
दिल्ली: कोरोना के खिलाफ़ लड़ाई में सरकार की नीतियों में सीधे हस्तक्षेप से बचने के लिए केंद्र सरकार के आग्रह पर कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वह मूकदर्शक नहीं रहेगा। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह कोविड-19 टीकाकरण नीति से जुड़ी अपनी सोच को दर्शाने वाले सभी प्रासंगिक दस्तावेज और फाइलों की नोटिंग रिकॉर्ड कर रखें तथा कोवैक्सीन, कोविशिल्ड एवं स्पुतनिक समेत सभी टीकों की आज तक की खरीद का ब्यौरा पेश करें। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि नीतियों के न्यायिक समीक्षा उसका कर्तव्य है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन नीति से जुड़े कई सवाल के सरकार से पूछे और राज्यों से भी हलफनामा मांगा है कि वह मुफ़्त में जनता को वैक्सीन दे रही है या नहीं।
इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार की पेड वैक्सीन नीति को मनमाना और अतार्किक बताते हुए स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि केंद्रीय बजट में वैक्सीन की खरीद के लिए रखे गए 35 हज़ार करोड रुपए अब तक कैसे खर्च किए गए हैं। साथ ही यह भी पूछा कि इस फंड का इस्तेमाल 18 से 44 वर्ष के लोगों के लिए वैक्सीन खरीदने के लिए क्यों नहीं किया जा सकता।
और देखे: 3 जून से आपके घर पर आएगी टीका एक्सप्रेस, बिहार के 88 लाख लोगों को लगेगी वैक्सीन
केंद्र सरकार ने अपने दायर हलफनामे में कहा कि टीकाकरण सरकार का नीतिगत मामला है और यह कार्यपालिका के कार्य क्षेत्र में आता है, कोर्ट को टीकाकरण नीति में दखल नहीं देना चाहिए। इस पर कोर्ट ने आदेश में कहा कि अधिकारों के बंटवारे से कोर्ट का नीतियों की समीक्षा करने का क्षेत्र अधिकार खत्म नहीं होता। जब कार्यपालिका की नीतियों से नागरिक के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहे हो तो उस स्थिति में संविधान ने कोर्ट को मूकदर्शक नहीं रखा है। इस समय कोर्ट डायलॉग जूरिडिक्शन निभा रहा है जिसमें लोग महामारी प्रबंधन से संबंधित परेशानियां लेकर आ रहे हैं। कोर्ट को ये देखने का अधिकार है कि नीति संवैधानिक तौर पर खड़ी है या नहीं।
आपको बता दें कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए इस पर सुनवाई शुरू की थी।
सरकार से कोर्ट ने जो ब्योरा मांगा है उसमें : (क) केंद्र सरकार द्वारा तीनो टीकों की खरीद के लिए दिए गए सभी ऑर्डर की तारीखें, (ख) हर तारीख पर कितनी मात्रा में टीको का आर्डर दिया गया, उसका ब्योरा और (ग) आपूर्ति की प्रस्तावित तारीख , शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट वैक्सीन के अलग-अलग कीमत को लेकर भी सरकार से सवाल पूछे हैं। इस मामले को अगली सुनवाई अब 30 जून को होगी।
और देखे: कोरोना से रिकवरी का ग्रोथ रेट बढ़कर 96.29 प्रतिशत हुआ, तो ब्लैक फंगस का बरपने लगा कहर