पटना: देश में कई राज्य सरकारों ने कोरोना को लेकर अपने सूबे में लॉकडाउन लगाया है। लेकिन बिहार एक मात्र ऐसा राज्य बन गया है जहां मंत्रियों को घऱ से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गयी है। रविवार को नीतीश कुमार के अंडर में आने वाले विभाग कैबिनेट सचिवालय की ओऱ से फऱमान जारी हुआ है-बिहार का कोई मंत्री न अपने क्षेत्र में जाये और ना ही प्रभार वाले जिला में। जो करना है अपने घर या दफ्तर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये करे। लोकतांत्रिक व्यवस्था में मंत्रियों को ही राजकाज चलाने की जिम्मेवारी होती है। लेकिन नीतीश कुमार ने आखिरकार क्यों अपने मंत्रियों के ही बाहर निकलने पर रोक दिया है। आइये हम आपको इसकी इनसाइड स्टोरी बताते हैं।
बिहार में जब से कोरोना की दूसरी लहर फैली खुद नीतीश कुमार अपने घऱ में कैद हो गये। वैसे कहने को वे दो दफे पटना के भ्रमण पर निकले। लेकिन बंद गाड़ी में बैठे बैठे सड़क पर घूमे। ना किसी अस्पताल का हाल देखने गये, न वैक्सीनेशन सेंटर की स्थिति देखी और ना ही लोगों से रूबरू होकर ये जानने की कोशिश की कि उन्हें क्या परेशानी हो रही है। हां, सीएम हाउस से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सामुदायिक किचन औऱ अस्पतालों का हाल जानने का शो जरूर हुआ। लेकिन वहां भी सीएम ने वही देखा जो उन्हें सरकारी तंत्र ने दिखाया।
उधर सीएम नीतीश जब सीएम हाउस में बैठे बैठे ही सारी व्यवस्था दुरूस्त कर लेने के दावे कर रहे थे तो वहीं बीजेपी के लगभग एक दर्जन मंत्री मैदान में उतर गये। इनमें बिहार के डिप्टी सीएम भी शामिल थे। बीजेपी मंत्री न सिर्फ अपने क्षेत्र औऱ प्रभार वाले जिले बल्कि वैसे जिलों में भी पहुंचने लगे, जिसे जेडीयू अपना गढ़ मानती है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी के मंत्रियों की यही सक्रियता नीतीश कुमार के लिए चिंता का सबब बन गया।
आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे बीजेपी की टीम कोरोना की घड़ी में सक्रिय हुई। डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद अपने गृह जिले कटिहार में जम गये। वे लगातार न सिर्फ कटिहार के अस्पतालों औऱ सामुदायिक किचन का दौरा कर रहे हैं बल्कि आस पास के इलाकों में भी पहुंच जा रहे हैं। बारसोई से लेकर मनिहारी में वे जनप्रतिनिधियों के साथ लंबी बैठक कर आये। लगातार खबरें आने लगीं कि तारकिशोर प्रसाद कोरोना के कहर के बीच भी जनता के बीच घूम रहे हैं।
उधर बीजेपी के एक मंत्री सम्राट चौधरी ने कई जिलों का ताबडतोड दौरा किया। मुंगेर से लेकर खगडिया, भागलपुर और बांका जैसे जिलों में उन्होंने न सिर्फ कोरोना के इलाज की समीक्षा की। बल्कि लोगों की शिकायतें सुनने के बाद सरकारी अधिकारियों की क्लास भी लगा दी।
इसके अलावा मंत्री नीरज कुमार बबलू अपने इलाके के कोविड केयर सेंटर से लेकर वैक्सीनेशन सेंटर और सामुदायिक किचेन का दौरा कर आय़े। उन्होंने लोगों की शिकायतें सुनीं तो अधिकारियों को हडकाया भी। मंत्री जनक राम भी अपने जिले गोपालगंज के कोविड सेंटर से लेकर वैक्सीनेशन केंद्र पर घूमते नजर आय़े। पूर्वी चंपारण में बीजेपी के मंत्री प्रमोद कुमार भी सरकारी अस्पतालों औऱ कोविड सेंटरों पर पहुंच गये।
नीतीश कुमार के लिए सबसे ज्यादा फजीहत की बात ये थी कि इस दौर में उनके ज्यादातर मंत्री औऱ विधायक अपने घरों में ही कैद रहे। नीतीश कुमार के किचन कैबिनेट के मेंबर माने जाने वाले मंत्रियों की शायद ही कोई तस्वीर किसी कोविड अस्पताल से आयी। वैसे भी जब सीएम ही अपने आवास से बाहर नहीं निकले तो फिर दूसरे नेता क्यों रिस्क लें।