पटना: नीति आयोग की एक रिपोर्ट आई है, जिसमें बताया गया है कि देश भर के जिला अस्पतालों की स्टडी में बिहार नीचे से नंबर वन आई है। रिपोर्ट के मुताबिक देश के जिला अस्पतालों में प्रति एक लाख की आबादी पर औसतन 24 बेड है। सबसे अच्छी स्थिति पांडुचेरी की है, जहां के जिला अस्पतालों में औसतन 222 बेड उपलब्ध है। वहीं, बिहार ने पांडुचेरी को ठेंगा दिखाते हुए अपनी सबसे खराब हालत के साथ टेबल में नीचे से टॉप किया है। बिहार के जिला अस्पतालों में औसतन मात्र 6 बेड उपलब्ध है, जबकि स्टैंडर्ड के मुताबिक प्रति एक लाख जनसंख्या पर कम से कम 22 बेड होने चाहिए।
नीति आयोग की रिपोर्ट निकलने के बाद पत्रकारों ने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से रिपोर्ट पर सवाल किए तो मंत्री जी फौरन वहां से निकल गए। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला सिवान के सदर अस्पताल में मरीजों को बेड नहीं मिलने के कारण जमीन पर सोना पड़ता है। फिर भी मंत्री जी दावा करते हैं कि अस्पतालों में बेड की कहीं कोई कमी नहीं है। लेकिन नीति आयोग की इस रिपोर्ट ने सरकार के तमाम दावों को झूठा साबित कर दिया है। खैर, मंत्री जी ने पत्रकारों से बात किए बिना खिसक लिए, लेकिन जाते- जाते मंगल पांडे ने जो कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है।
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आपको बता दें कि बिहार में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ के बारे में, मार्च 2021 को विधानसभा में बिहार के माननीय स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने दावा किया था कि बिहार में डब्ल्यूएचओ के मानक के बराबर डॉक्टर उपलब्ध है। स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक बिहार में 40200 एलोपैथिक 33,922 आयुष 34257 होम्योपैथिक 5203 यूनानी डॉक्टर और 6130 डेंटिस्ट मौजूद है, यानी 12 करोड़ की आबादी पर लगभग 1 लाख 20 हजार डॉक्टर उपलब्ध है। इसे और आसानी से समझे तो एक हजार की आबादी पर बिहार में एक डॉक्टर उपलब्ध है और डब्ल्यूएचओ का आदर्श पैमाना भी यही है। लेकिन, पिछले साल खुद बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में बताया था कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के 75 फ़ीसदी पद खाली है। बिहार सरकार के मुताबिक बिहार के अस्पतालों में डॉक्टरों के कुल 11645 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें सिर्फ 2877 पद ही भरे गए हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए भारत में औसतन 1500 लोगों पर एक डॉक्टर मौजूद है और यह स्थिति चिंताजनक है। लेकिन, बिहार की स्थिति इससे भी ज्यादा चिंतनीय है क्योंकि यहाँ 40000 की आबादी पर एक सरकारी डॉक्टर उपलब्ध हैं।
अब चुकी नीति आयोग की रिपोर्ट गांधी जयंती के आसपास आई है, तो बिहार के नेताओं और मंत्रियों पर गांधीगिरी सवार है। हालांकि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री इस रिपोर्ट पर कुछ भी बोलने से बचते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने नीति आयोग की रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने इसके पहले जून 2021 में नीति आयोग के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स इंडेक्स में बिहार के निचले पायदान पर आने के बाद इस रिपोर्ट को मानने से इंकार कर दिया था। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो बिहार अब अपना नया नीति आयोग बनाने की तैयारी कर रहा है।
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