पटना: तमाम अड़चनों के बाद अब बिहार में जातीय जनगणना का रास्ता साफ हो गया है। इस संबंध में बिहार सरकार ने मुहर लगा दी है। जातीय जनगणना के साथ आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण भी किया जाएगा। गुरुवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के संसाधनों से जातीय जनगणना करने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। सरकार का अनुमान है कि इस गणना करने में करीब नौ महीने का समय लगेगा। वहीं, इसमें करीब 500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस दौरान राज्य में सभी धर्मों की जातियों एवं उपजातियों की भी गिनती होगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 12 एजेंडों पर मुहर लगाई गई। कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि सरकार के फैसले के अनुसार सामान्य प्रशासन विभाग राज्य में जातीय जनगणना कराएगा, जबकि जिलाधिकारी इसके लिए नोडल मजिस्ट्रेट के तौर पर तैनात किए गए हैं। सामान्य प्रशासन विभाग और जिला पदाधिकारी ग्रामीण स्तर, पंचायत स्तर एवं उ’चतर स्तर पर विभिन्न विभागों के कर्मियों की सेवा जाति आधारित गणना में ले सकेगी।
आकस्मिकता निधि से पांच सौ करोड़ रुपये लेगी सरकार:
मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि जातीय गणना के क्रियान्वयन पर करीब पांच सौ करोड़ रुपये का खर्च आएगा। राज्य सरकार ने आकस्मिकता निधि से पांच सौ करोड़ रुपये लेगी। सुबहानी ने बताया कि जातीय जनगणना के दौरान ही आर्थिक सर्वे कराने की कोशिश भी की जाएगी। जातीय जनगणना फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है और गणना से संबंधित जानकारी समय-समय पर विधानसभा में सभी दलों को उपलब्ध कराया जाएगा।
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सर्वदलीय बैठक में बनी थी सहमति:
बिहार की राजनीति में जातीय जनगणना एक बड़ा मुद्दा रहा है। जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग कर रहे राजद नेता तेजस्वी यादव ने इसे जीत करार दिया है। उन्होंने कहा कि “जनता के दबाव और इसके पक्ष में वैचारिक दलों के लंबे संघर्ष के बाद, कल बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जल्द ही सभी धर्मों की जातीय जनगणना समय सीमा के भीतर करने की मंजूरी दी जाएगी।”
जातीय जनगणना को लेकर बिहार में सरगर्मी तेज:
बिहार में वोट के लिहाज से ओबीसी और ईबीसी बड़ा वोट बैंक है। दोनों की कुल आबादी 52 फीसदी के आसपास माना जाता है। इसमें सबसे अधिक यादव जाति का वोट है जो 13 से 14% के आसपास अभी मान जा रहा है। इसके अलावा जातियों की बात करें तो 33 से 34 जातियां इस वर्ग में आती है। ऐसे तो जातीय जनगणना सभी जातियों की होगी लेकिन कडयू और राजद की नजर ओबीसी और ईबीसी जाति पर ही है। दोनों अपना वोट बैंक इसे मानती रही है।
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