पटना: देश के दूसरे प्रधानमंत्री रहे लाल बहादुर शास्त्री का नाम लेते ही एक जननेता की छवि उभरती है। सादगी भरा जीवन, ऊंचे विचार, चिर स्वाभिमानी और दृढ़ निश्चयी से शास्त्री ने अपने राजनीतिक जीवन में देश पर ऐसी छाप छोड़ी है, जो आज के नेताओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। उनका जन्म भले ही उत्तर प्रदेश की पावन भूमि बनारस के मुगलसराय में हुआ था, लेकिन बिहार की राजधानी पटना की धरती से भी उनको काफी जुड़ाव था। बताया जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री को इस शहर से एक अलग ही प्रेम था और समय का एक दौर भी इसका साक्षी रहा है।
प्रधानमंत्री होने के बावजूद लाल बहादुर शास्त्री कई बार पटना आए थे। दरअसल, पटना से उनका लगाव उनकी बहन के कारण था। राजधानी पटना के कदमकुआं के पास खासमहल में उनकी बहन सुंदरी देवी का निवास स्थान था और शास्त्री जी बहन से मिलने अक्सर आते रहते थे। उनकी बहन का परिवार पूरी तरह से राजनीतिक विरासत वाला था, क्योंकि उनकी शादी लोकनायक जयप्रकाश नारायण के भतीजा शंभू शरण से हुई थी।
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लोकनायक जयप्रकाश नारायण के भतीजा शंभू शरण स्वतंत्रता आंदोलन के सच्चे सिपाही और डा. राजेंद्र प्रसाद के काफी करीबी थे। इतिहासकारों के माने तो शास्त्री जी जब भी बिहार आते थे तो बहन से जरूर मिलते थे। उस वक्त कदमकुआं में ही बिहार के जाने माने व्यक्तित्व राजेंद्र प्रसाद, अनुग्रह नारायण सिंह व जयप्रकाश नारायण के भी आवास थे।
एक समय में लाल बहादुर शास्त्री और उनकी बहन सुंदरी देवी की मुलाकात का गवाह पटना का मशहूर अस्पताल भी रहा है। पति शंभू शरण का देहांत होने के बाद शास्त्री जी की बहन सुंदरी देवी अक्सर बीमार रहने लगी थीं। जब सुंदरी देवी 1964 में बीमार थी, तब उन्हें पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यही वो समय था जब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री रहते हुए अपने सादगी के साथ बहन से मिलने पटना आए थे। आज भी इस मुलाकात को पीएमसीएच विरासत की तरह संजोए हुए है।
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पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थापना 1925 में हुई थी। पहले यह महाविद्यालय पटना विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था, इसके बाद इसे आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया था। भारत की आजादी के पहले इस महाविद्यालय की गिनती भारत में चिकित्सा के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में होती थी। हालांकि, आज यह अस्पताल को आंखों से देखने पर गौरवशाली इतिहास वाला बिल्कुल नहीं लगता है।