पटना: रवि किशन जी आपके नियत के उपर भोजपुरी दर्शकों को कोई शक नहीं है। हम एकदम मान रहे हैं कि आपके दिल में चाहत है कि आप भोजपुरी में फैले अश्लीलता को खत्म करने के लिए बेचैन है लेकिन हमकों आप क्या इस चीज का जबाब दे सकते हैं कि आपने इसके पहले भी भोजपुरी में अश्लीलता को लेकर काफी कुछ बोला है और सरकार से मांगा है लेकिन क्या आपकी सरकार ने आपके इस मांग पर कभी गंभीरता से विचार किया है? अगर आप की पार्टी वाकई में भोजपुरी को लेकर गंभीर है, गंभीरता से सोचती है,अगर आप की सरकार वाकई में भोजपुरी के लिए कुछ करना चाहती है तो फिर उसकी तरफ से आश्वासन को छोड़कर आज तक क्या मिला है?
आपकी सरकार ने तो भोजपुरी भाषियों को आठवीं अनुसूची वाला सपना भी दिखाया था लेकिन उसका क्या हुआ? हमें याद है कि जब राजनाथ सिंह जी मंत्री हुआ करते थे तब उन्होंने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए काफी कुछ कहा था और सपना दिखाया था कि बहुत जल्द भोजपुरी भी आठवीं अनुसूची में शामिल हो जाएगी लेकिन क्या कुछ हुआ? हम भूल जाते हैं पुरानी बात को कि रवि किशन ने कभी ‘तोहार लहंगा उठा देम रिमोट से’ जैसा गाना भी गाया है। हम मान लेते हैं कि रवि किशन भोजपुरी में अश्लीलता के खिलाफ है लेकिन क्या आपको लगता है कि आप चुपचाप आराम से बैठकर अपनी सरकार से अपनी मांग रखेंगे और सरकार उसको मान लेगी। मनोज तिवारी से लेकर रवि किशन, विनय बिहारी और निरहुआ ये सारे भोजपुरी के बड़े कलाकार और गीतकार भाजपा से जुड़े हुए हैं लेकिन फिर भी अगर भाजपा भोजपुरी भाषा को लेकर गंभीर नहीं होती है तो क्या समझा जाए?
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गोरखपुर के सांसद और भोजपुरी अभिनेता रवि किशन ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा है। रवि किशन ने मांग किया है कि सरकार भोजपुरी में फैली हुई अश्लीलता को लेकर कानून बनाए। रवि किशन सदन में इससे पहले एक विधेयक भी पेश कर चुके हैं। रवि किशन ने सदन में भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए एक विधेयक पेश किया था लेकिन क्या रवि किशन के उस विधेयक को भारतीय जनता पार्टी का समर्थन मिला था? जो सांसद और विधायक भोजपुरी भाषी क्षेत्रों से चुनकर जाते हैं लेकिन वे भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराए जाने की मांग को लेकर खुलकर सामने नहीं आते हैं तो उन सदस्यों और वैसी सरकार से कोई यह आशा कैसे कर ले कि वह भोजपुरी में फैल रही अश्लीलता को कम करने के लिए कोई कानून बना देगी?
अगर सरकार चाहे तो निश्चित रूप से अश्लीलता को रोका जा सकता है लेकिन यहां प्रश्न सरकार की मंशा पर उठता है। हम तो चाहते हैं कि रवि किशन भोजपुरी के एक बड़े अभिनेता होने के नाते अपने नेतृत्व में एक आंदोलन की शुरुआत करें जो भोजपुरी में फैली अश्लीलता का विरोध करें और आज के तथाकथित बड़े गायकों को यह आभास कराये की अब पानी सर के पार जा रहा है। आज के समय में भोजपुरी में फैली अश्लीलता को लेकर आम जनता में रोष इस कदर व्याप्त है कि बस उसे थोड़ी सी हवा देने की जरूरत है। हम तो चाहेंगे कि रवि किशन, मनोज तिवारी जैसे भोजपुरी कलाकार जो अब नेता बन चुके हैं, उनके नेतृत्व में इस तरह का आंदोलन शुरू किया जाए।
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एक बात तो साफ है कि केवल रवि किशन के पत्र लिख देने से सरकार कोई कानून बनाने वाली नहीं है। सरकार भोजपुरी को इतनी गंभीरता से लेती ही नहीं और अगर सरकार भोजपुरी भाषी और भोजपुरी क्षेत्र को इतनी गंभीरता से लेती तो आज भोजपुरी और भोजपुरी क्षेत्र की यह हालत ना होती। भारत में वैसे भाषा भी है जिसके बोलने वालों की संख्या भोजपुरी से काफी कम है लेकिन उनकी फ़िल्म इंडस्ट्री हमारे भोजपुरी से सैकड़ो गुना बड़ी है। हम लोग गाना पर 300-400-500 मिलियन व्यूज को ही सफलता का पैमाना मान चुके हैं।
हम लोगों की नजर में किसी गाने पर 300 मिलियन व्यूज आना ही सफलता है। भोजपुरी कलाकारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गाने में कितने ओछे शब्दों का प्रयोग किया गया है और वह गाना हमारी अपनी परंपरा को कितना धूमिल कर रहा है। बाकी अगर भोजपुरी के बड़े सितारे चाहे वह रवि किशन हो और मनोज तिवारी हो चाहें विनय बिहारी हो, अगर यह सब लोग चाहें तो मिलकर एक ऐसा आंदोलन खड़ा हो सकता है जो भोजपुरी को फिर से उसका गौरव वापस दिला सकता है।