पटना: बिहार सरकार कोरोना काल में एक तरफ जहां पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर करने का दावा कर रही है। तो वहीं तस्वीरें कुछ और ही कह रही हैं। बात करे केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के गांव ने ही इस पूरे दावे की पोल खोल दी है। भागलपुर जिला मुख्यालय से महज 15 किमी की दूरी पर केंद्रीय मंत्री का पैतृक गांव दरियापुर है, लेकिन यहां विकास कोसों दूर है।
यहां तक कि कोरोना जैसी महामारी के के समय में उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति भी बदतर है। गांव में लोग बीमार पड़ रहे हैं। इसके बावजूद उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला लगा रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री जी न तो यहां आते हैं और न ही ध्यान देते हैं। हम लोग क्या कर सकते हैं?
तो वहीं वहां के ग्रामीण अमन कुमार ने बताया कि सरकार ने इस उप स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर-नर्स लगा रखे हैं, लेकिन वे आते नहीं हैं। मेडिकल सामान भी नहीं है। गांव के लोग बीमार होते हैं तो यहां नहीं आते हैं। उनको पता होता है कि उप स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ नाम का है। गांव के और आसपास के झोला छाप डॉक्टर ही काम चलाते हैं। मजबूरी में लोगों को उनके पास जाना पड़ता है। सेहत ज्यादा बिगड़ने पर आनन-फानन में भागलपुर सदर अस्पताल और मायागंज जाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ कहने को अश्विनी चौबे का पैतृक गांव हैं। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है।
उधर दरियापुर गांव के गोगो सिंह ने बताया कि अश्विनी चौबे तो हमारे गांव के ही हैं। अगर वो चाहते तो इस गांव को चमका देते। लेकिन जब वो एक अस्पताल की हालत ठीक नहीं करा सके तो उनसे क्या उम्मीद की जा सकती है। गोगो सिंह ने कहा कि गांव में किसी को कुछ हो जाए तो लोगों के पास एक ही विकल्प भागलपुर होता है। वैक्सीन के प्रति तो गांव में जागरुकता है। लेकिन लोग मास्क नहीं लगाते हैं। करीब 50% लोगों ने वैक्सीन लगवा ली है। इसके लिए भी लोगों ने खुद से पहल की है। सरकार की ओर से किसी तरह का जागरुकता अभियान या कैंप नहीं लगाया गया है।
ऐसे में कई ग्रामीणों का कहना है कि दरियापुर गांव के लिए चिराग तले अंधेरा वाली कहावत सही बैठती है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री इस गांव के होने के बावजूद यह हाल है। प्रदेश के अन्य गांवों का तो भगवान ही मालिक है। ग्रामीण जयबदन सिंह ने बताया कि उनसे क्या कहें, और कैसे कहें, हम उन तक नहीं पहुच पाते हैं। क्योंकि न तो हम वहां तक जा सकते हैं और न ही वो गांव आते हैं। ऐसा स्वास्थ्य राज्य मंत्री किस काम का जिसके गांव में ही स्वास्थ्य सेवाएं बदतर हों।