पटना: जम्मू कश्मीर के दौरे पर गए परिसीमन आयोग के टीमों ने शुक्रवार को बताया कि अगले साल मार्च तक परिसीमन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। जिसके बाद जम्मू कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें होगी। जिनमें अनुसूचित जाति के लिए अलग से रिजर्व सीट रखी जाएगी। परिसीमन आयोग ने राजनीतिक दलों और जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों से भी बातचीत की है।
5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 और 35a को जम्मू-कश्मीर में निष्प्रभावी किया गया। जिसके बाद से जम्मू कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। जिसका परिसीमन का कार्य अब तक नहीं हुआ है। परिसीमन आयोग ने बताया है कि 2022 मार्च तक परिसीमन की कार्य पूरी कर दी जाएगी। जम्मू कश्मीर में इससे पहले 1963, 1973 और 1995 में परिसीमन कार्य किया गया था। कुछ वजह से 1991 में राज्य में जनगणना नहीं हो पाई थी। इस वजह से 2096 के चुनाव के लिए 1981 की जनगणना को आधार बनाकर सीटों का निर्धारण किया गया था। जम्मू कश्मीर में परिसीमन कार्य प्रगति पर है,लेकिन देश के अन्य राज्यों की बात करें तो 2031 से पहले परिसीमन कार्य नहीं किया जा सकता है।
जम्मू और कश्मीर में परिसीमन का कार्य पुराना इतिहास रहा है। 1951 में यहां 100 सीटें थी, जिनमें से 25 सीट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए रिजर्व रखी गई थी। 2020 में परिसीमन आयोग को 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन का कार्य करने का निर्देश दिया गया है। इस परिसीमन के बाद जम्मू कश्मीर में 7 सीटें बढ़ाने की संभावना है। सुप्रीम कोर्ट ने परिसीमन पर फटकार लगाते हुए कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया कोई गणितीय प्रक्रिया नहीं है जिसे टेबल पर बैठकर पूरा किया जा सके। परिसीमन प्रक्रिया मैं समाज की भागीदारी जरूरी है। जिसके लिए आयोग को जम्मू कश्मीर की धरातल पर उतर लोगों की और राजनीतिक पार्टियों की राय लेनी चाहिए।
6 जुलाई को जम्मू पहुंचने के बाद परिसीमन आयोग के सदस्यों ने सभी पार्टियों के राजनेताओं से मिलकर बातचीत की और उनका पक्ष सुना। साथ हीं श्रीनगर मैं चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक की। पीडीपी और एमसीए आयोग से चर्चा नहीं की। इन दोनों पार्टियों का प्रस्ताव है कि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। वहीं कॉन्ग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस और विपुल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां परिसीमन को तैयार हो गई है। साथ हीं पीपल कांफ्रेंस और भाकपा पार्टियों के द्वारा यह मांग की गई है कि परिसीमन का कार्य 2011 की जनगणना के आधार पर किया जाए।इसके बाद यह घोषणा की गई थी कि अगले साल मार्च तक जम्मू कश्मीर और लद्दाख में परिसीमन का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।