पटना: भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने आज यानि 26 मई को सत्ता में आठ साल पूरे कर लिए हैं। पिछले 8 साल में भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रचंड जीत हासिल हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि उनका अब तक कार्यकाल देश के संतुलित विकास, सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के लिए समर्पित रहा है। लेकिन 8 साल पूरे होने के मौके पर अगर पीछे मुड़कर देखा जाए तो मोदी सरकार ने कई ऐसे फैसले लिए जो जिन्हें ऐतिहासिक माना गया, हालांकि इनमें से ज्यादातर को लेकर विवाद जरूर हुआ और कुछ फैसलों से सरकार की किरकिरी भी हुई। आइए देखते हैं पिछले 8 साल में मोदी सरकार के क्या 8 बड़े फैसले रहे हैं…
नोटबंदी:
मोदी सरकार भले ही 2014 में आई हो लेकिन उसका सबसे बड़ा फैसला दो साल बाद 2016 को आया। भारत सरकार ने 8 नवंबर 2016 को सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण यानी डीमोनेटाइजेशन की घोषणा की। सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले को नोटबंदी कहा गया। 500 और 1000 के नोट बंद करने के बाद सरकार ने बदले में ₹500 और ₹2,000 के नए नोट जारी की। नोटबंदी के बाद कई महीनों तक देश में लोग अपने पुराने नोट बदलवाने के लिए अफतार-तफरी के माहौल में बैंकों में कतार लगाकर खड़े दिखे। लोगों को पुराने नोट जमा करने और नए नोट हासिल करने के लिए बैंकों में लंबी लाइनें लगानी पड़ीं। सरकार की ओर से नोटबंदी को भ्रष्टाचार के खिलाफ ऐतिहासिक फैसला बताया गया।
सर्जिकल स्ट्राइक:
29 सितंबर 2016 को, भारत ने घोषणा की कि उसने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादी लॉन्च पैड को निशाना बनाकर उनके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की, और “बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया” किया। भारत के दावे को पाकिस्तान की ओर से खारिज कर दिया गया। भारत ने उरी हमले के बाद भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्र के आतंकवादी लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक कर बड़ी संख्या में आतंकियों का सफाया किया था। जम्मू कश्मीर के उरी आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के 10 दिनों के भीरत भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस सर्जिकल स्ट्राइक में आतंकवादियों और ‘उनकी रक्षा करने वाले’ भारी संख्या में हताहत हुए थे। सर्जिकल स्ट्राइक ने भारत के जवाब देने के तरीके का रुख बदल दिया।
जीएसटी लागू करना:
मोदी सरकार ने 29 मार्च 2017 को एक बड़ा फैसला लेते हुए तमाम टैक्सों को हटाकर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी को लागू किया। तमाम चुनौतियों के बावजूद सरकार जीएसटी को लेकर आई और इसे बड़ा कदम बताया गया। इससे पूरे देश में एक टैक्स सिस्टम लागू हुआ। जिसके तहत सीधे तय कर दिया गया कि आधा जीएसटी केंद्र के हिस्से में और आधा राज्यों को जाएगा। भारत में माल और सेवा कर कानून एक व्यापक, बहु-स्तरीय, गंतव्य-आधारित कर है जो प्रत्येक मूल्यवर्धन पर लगाया जाता है। जीएसटी पूरे देश के लिए एकल घरेलू अप्रत्यक्ष कर कानून है। एक देश-एक कानून’ को ध्यान में रखते हुए जीएसटी कानून लागू किया गया।
तीन तलाक कानून:
तीन तलाक कानून बनाना मोदी सरकार का मुस्लिम महिलाओं के लिए बड़ा फैसला था। इसे संसद में गहन बहस के बाद 1 अगस्त, 2019 को पारित किया गया था। मोदी सरकार का तीन तलाक पर कानून लाने का फैसला भी काफी विवादों में रहा। लेकिन एक बड़े वर्ग ने इसका समर्थन किया। तीन तलाक कानून पारित होने के बाद उन तमाम महिलाओं को राहत मिली, जिन्हें तुरंत तीन बार तलाक बोलकर छोड़ दिया जाता था। कानून बनने के बाद अब ये महिलाएं अपने हक के लिए लड़ सकती हैं और कानूनी तरीके से ही उन्हें तलाक दिया जा सकता है।
नागरिकता कानून पर विवाद:
मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसले में सीएए कानून लाने को लेकर एक बेहद लंबा विवाद चला। नागरिकता (संशोधन) कानून को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में संसद में पास किया था। सीएए कानून राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद 10 जनवरी 2020 से लागू हो गया है। इस बिल का उद्येश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है। विपक्षी नेताओं ने इसे भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ बताया, वहीं मुस्लिम समुदाय ने सीएए के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया। इस कानून को लेकर शाहीन बाग में एक लंबा विरोध प्रदर्शन चला था।
आर्टिकल 370 खत्म करना:
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को एक बड़ा कदम उठाते हुए जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष रूप से बनाई गई धारा 370 तथा अनुच्छेद 35-ए के प्रावधानों को निरस्त कर दिया। यह मोदी सरकार के सबसे बड़े फैसलों में से एक है। फैसले से ठीक पहले तमाम स्थानीय नेताओं को नजरबंद कर लिया गया, वहीं कई दिनों तक इंटरनेट जैसी सेवाएं बंद रहीं। ये सरकार का काफी बड़ा और चौंकाने वाला फैसला था, जिसे लेकर खूब हंगामा भी हुआ, लेकिन सरकार अपने फैसले पर टिकी रही। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से संबंधित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए होता था। मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद को हटाया व इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया। इसके अलावा लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में घोषित किया।
कृषि कानूनों को लागू करना और फिर वापसी:
मोदी सरकार के आठ साल के दौरान सबसे टफ फैसला कृषि कानून लाने का था। साल 2021 में मोदी सरकार तीन विवादित कृषि कानूनों को लेकर आई, भारी विरोध के बावजूद इन्हें संसद के दोनों सदनों से पास कराया गया और राष्ट्रपति की मुहर के बाद कानून बना दिया गया। कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए मोदी सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई तो बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन इसके बाद देशभर के किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं को घेर दियालेकिन संसद में कानून के पास होते ही पंजाब के किसान सड़क पर उतर आए थे, जिसके बाद हरियाणा और यूपी सहित कई राज्यों के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया। करीब 1 साल तक चले किसान आंदोलन ने सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया और आखिरकार मोदी सरकार को अपने ये कानून वापस लेने पड़े।
रूस-यूक्रेन युद्ध:
रुस और यूक्रेन युद्ध के दौरान मोदी सरकार पशोपेश में रही। एक तरफ अमेरिका का लगातार दबाव था कि भारत को यूक्रेन के साथ खड़े होना चाहिए तो दूसरी तरफ रूस पुराना मित्र था। इसके अलावा यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को बाहर निकालना भी मोदी सरकार के लिए एक चुनौती था। ऐसे में मोदी सरकार ने तटस्थ रहते हुए यूक्रेन और रूस दोनों के साथ अपने संबंध को बनाए रखा। यूक्रेन के साथ संबंधों को बनाए रखते हुए भारत सरकार वहां पर फंसे भारतीय छात्रों को निकालने में कामयाब रही। अपनी कूटनीति से भारत सरकार ने रूस के इलाके वाले क्षेत्र से भी भारत के लोगों को वापस निकाला। इस तरह से मोदी सरकार ने डिप्लोमेसी के साथ कूटनीतिक कदम उठाया। वर्तमान समय में भी रुस और यूक्रेन युद्ध जारी है। मोदी सरकार अपने डिप्लोमेसी के जरिए पश्चिमी देशों के दबाव से निकालने का प्रयास कर रहा है।