पटना: दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को केजरीवाल सरकार को झटका देते हुए घर-घर राशन वितरण योजना को फिर से रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार की घर-घर राशन वितरण योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि इस योजना के लिए केंद्र के अनाज का उपयोग नहीं किया जा सकता है। दिल्ली सरकार राशन डीलर्स संघ की याचिका पर यह फैसला आया है। जिन्होंने अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार की घर-घर राशन वितरण योजना को चुनौती दी थी।
केंद्र की योजना को नहीं कर सकते इस्तेमाल:
उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना को चुनौती वाली राशन डीलरों की दो याचिकाओं को मंजूरी दी थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन संघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि घर-घर चीजें पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार कोई और योजना लाने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन वह केंद्र सरकार की ओर से उपलब्ध कराए गए अनाज का इस्तेमाल घर-घर पहुंचाने की योजना के लिए नहीं कर सकती है।
‘मुख्यमंत्री’ शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति:
पहली आपत्ति योजना के नाम में ‘मुख्यमंत्री’ शब्द के इस्तेमाल को लेकर थी। केंद्र का कहना था कि राशन का वितरण नैशनल फूड सिक्योरिटी ऐक्ट के अंतर्गत होता है। दूसरा, तर्क यह दिया कि NFSA में किसी तरह के बदलाव के लिए कानून में बदलाव करना होगा और ऐसा करने का अधिकार सिर्फ संसद के पास है। इसका नतीजा यह हुआ कि योजना को लेकर एक ही शहर में मौजूद दो सरकारें आमने-सामने हो गईं।
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आदेश रखा था सुरक्षित:
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ और दिल्ली राशन डीलर्स यूनियन द्वारा दायर याचिकाओं पर व्यापक सुनवाई करने के बाद 10 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, ये घर-घर राशन योजना दिल्ली सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक थी, लेकिन इसको लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच खींचतान देखने को मिली। वहीं आज दिल्ली हाईकोर्ट ने इस योजना को रद्द कर दिया है।
योजना पर उठाई थीं आपत्तियां:
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच मतभेदों के कारण दिल्ली सरकार की राशन योजना की डोर स्टेप डिलीवरी ठप हो गई थी। यह योजना 25 मार्च 2021 को शुरू होने वाली थी, लेकिन केंद्रीय खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने 19 मार्च को दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर दो आपत्तियां उठाई थीं।
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