पटना: मौसम विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले समय में भारत में जोरदार ठंड पड़ने की संभावना है। उत्तर भारत में इसकी विशेष संभावना है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी और फरवरी के महीने में विशेष रुप से ठंड बढ़ सकती है। इस महीने में तापमान करीब 3 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। इसका मुख्य वजह जलवायु परिवर्तन को बताया गया है। एक आँकड़े में यह भी बताया गया है कि सितंबर और अक्टूबर महीने में इस साल देश में पिछले 5 वर्ष की तुलना में ज्यादा ठंड पड़ी है।
विशेषज्ञों की माने तो पूरे भूमध्य रेखीय प्रशांत क्षेत्र में ला नीना के कारण ठंड की संभावना है। इससे कैलिफोर्निया और दक्षिण अफ्रीका में सूखे की तबाही कम होगी लेकिन अमेरिका जापान और भारत के कुछ हिस्सों में बेहद ठंड पड़ने की संभावना है। वैज्ञानिकों की माने तो जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। दुनिया में पहले ही खाद आपूर्ति के लिए खतरा का माहौल है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन से अफ्रीका के कई देशों में खाद आपूर्ति की संकट बढ़ सकती है।
क्या है ला नीना :
ला नीना एक मौसम पैटर्न है जो प्रशांत महासागर में होता है। यह एक स्पेनिश शब्द है जिसका अर्थ लिटिल गर्ल होता है। इस मौसम में सामान्य हवा अधिक तेजी से चलती है और अधिक ठंड पानी को एशिया की ओर धकेल देती है। आप इसे ऐसे समझिए कि इस मौसम में हवाएं प्रशांत महासागर से निकलने वाली वाष्प को साथ लेकर चलती है, जिससे ठंड बढ़ जाती है। एक वजह यह भी है कि इस मौसम में हवा की रफ्तार काफी तेज होती है, इस वजह से भी ठंड काफी बढ़ जाती है। इससे दक्षिणी अमेरिका में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और प्रशांत महासागर के उत्तर-पश्चिमी और कनाडा जैसे देशों में भारी बारिश होती है। वहीं, दूसरी और उत्तर में अधिक ठंड पड़ती है।
मौसम विशेषज्ञों की माने तो ला नीना तब आती है जब मौसम की स्थिति व्यवहारिक हवाओं के सामान्य रहती है। प्रशांत महासागर की स्थिति सामान्य होती है तो हवाएं भी सामान्य होती है और यह वहां दक्षिण अमेरिका से एशिया तक ठंडा पानी पहुंचाता है। ला नीना के दौरान सामान्य हवाएं काफी तेज होती है और एशिया की ओर ठंडे पोषक तत्वों के साथ भरपूर पानी लेकर बहती है। इसका अधिक असर समुद्र तटीय स्थान पर देखा जाता है। ऐसी हवाई औसतन 2 महीने तक चलती है।
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