पटना: धूम्रपान पर नियंत्रण और उसकी उम्र बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मांग की गई है कि देश में युवाओं के बीच बढ़ती सिगरेट (Cigarette) की लत के साथ धूम्रपान को नियंत्रित करने के लिए दिशा निर्देश तय किये जाएं। साथ ही धूम्रपान करने की आयु 18 से बढ़ाकर 21 करने और शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों और पूजा स्थलों के पास सिगरेट की बिक्री बैन करने की मांग की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई जिसमें वाणिज्यिक स्थानों और हवाई अड्डों से निर्दिष्ट धूमपान क्षेत्रों को खत्म करने, धूमपान की 21 वर्ष करने और शिक्षण संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों व पूजा स्थलों के नजदीक सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित करने के निर्देश देने की मांग की गई है। इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट शुभम अवस्थी और ऋषि मिश्रा ने दायर किया है। याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वाणिज्यिक संस्थानों, हवाई अड्डों से धूम्रपान क्षत्रों को हटाने के लिए नए दिशा निर्देश दें।
सप्तऋषि मिश्र द्वारा दाखिल याचिका में सार्वजनिक स्थानों पर धूमपान करने पर जुर्माना बढ़ाने, सिगरेट की फुटकर बिक्री पर प्रतिबंध लगाने और निर्दिष्ट धूमपान क्षेत्रों वाले इलाकों में हवा को स्वच्छ बनाने के लिए दिशानिर्देश बनाने के निर्देश देने की मांग भी की गई है। याचिका भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई है, जिसमें भारत संघ को एक रिट या आदेश या दिशा-निर्देश की मांग करने के लिए प्रार्थना की गई है या किसी अन्य उपयुक्त रिट की मांग की गई है।
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9.5 फीसद लोगों की मौत सिगरेट पीने से होती है:
अधिवक्ता शुभम अवस्थी और सप्तर्षि मिश्रा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सिगरेट के धूम्रपान को अधिक सुलभ बनाकर उन्हें धूम्रपान करने के लिए प्रभावित किया जाता है और युवाओं को निशाना बनाया जा रहा है। इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2018 में भारत में धूम्रपान को लेकर चिंता जाहिर की है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक सिगरेट के इस्तेमाल से युवाओं को दिल से संबंधित बीमारियां हो रही हैं और लगभग 9.5 फीसदी लोग धूम्रपान की वजह से मौत के घाट उतर जाते हैं।
धूम्रपान किशोर आबादी को प्रभावित करती है:
दायर याचिका में उल्लेख किया गया है कि देश में सिगरेट की बिक्री और लत ऐसे उत्पादों के रूप में नागरिकों के स्वास्थ्य के अधिकार को प्रभावित करती है और निर्दिष्ट धूम्रपान क्षेत्रों में हवाई अड्डों, रेस्तरां और क्लबों में खुले धूम्रपान किशोर आबादी को प्रभावित करती है। वर्तमान समय में, पिछले दो दशकों से धूम्रपान की दर बढ़ रही है और यह एक ऐसी महामारी बन गई है कि भारत अब 16-64 आयु वर्ग के लिए धूम्रपान करने वालों की श्रेणी में दूसरे स्थान पर है।
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