पटना: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है। ये याचिका वाराणसी अंजुमन ए इंतेजामिया मस्जिद प्रबंधन कमेटी की ओर से दाखिल की गई है। अंजुमन ए इंतेजामिया मस्जिद वाराणसी की प्रबंधन समिति ने वाराणसी कोर्ट से आदेशित काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। दायर अर्जी को लेकर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि इस मामले में हम कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में हम तत्काल कोई आदेश कैसे जारी कर सकते हैं। हम इस मामले की लिस्टिंग कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि अभी हमने पेपर नहीं देखा है। बिना पेपर देखे कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश जारी करने से इनकार कर दिया। जस्टिस रमना ने कहा कि बिना कागजात देखे आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। हालांकि कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है। ये मामला CJI की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष वाराणसी की स्थानीय अदालत के आदेश पर रोक लगाने के लिए रखा गया है।
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पांच महिलाओं ने दाखिल की थी याचिका:
इससे पहले पांच महिलाओं की ओर से मां श्रृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन को लेकर वाराणसी की अदालत में याचिका दाखिल की थी। जिसके बाद अदालत ने सर्वे का आदेश दिया था। अदालत ने अजय कुमार मिश्र को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करते हुए ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कर दस मई तक अदालत में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। सात मई को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर एडवोकेट कमिश्नर बदलने की मांग की थी जिस पर गुरुवार को अदालत ने फैसला दिया था।
वाराणसी की कोर्ट ने सर्वे के लिए दी थी 17 मई की तारीख:
गौरतलब है कि 5 हिंदू महिलाओं की ओर से एक अर्जी दाखिल की घई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए पिछले महीने वाराणसी कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था। उसकी ओर से एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र को सर्वे के लिए नियुक्त किया गया था। उनकी नियुक्ति को चुनौती देते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। हालांकि उसने एक और कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति का आदेश दिया और 17 मई तक सर्वे पूरा कर रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही अजय मिश्र के अलावा अजय सिंह और विशाल सिंह को भी नियुक्त करने का आदेश दिया था।
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