पटना: पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा का मुद्दा ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विधायक इस मुद्दे एक दूसरे में भिड़ गए। विधानसभा में हंगामा ऐसा बरपा की बात हाथापाई तक पहुंच गई। टीएमसी और भाजपा ने विधानसभा के अंदर एक दूसरे से मारपीट का आरोप लगाया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के नेता ने अब केंद्र सरकार से इस मामले में दखल देने की मांग की है।
विधानसभा में चोटिल हुए विधायक:
पश्चिम बंगाल विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने बीरभूम हिंसा पर चर्चा कराने की मांग की। इसे लेकर टीएमसी और भाजपा विधायक आमने-सामने आ गए। दोनों ही दलों के विधायक एक दूसरे से धक्का-मुक्की और मारपीट करने लगे। इस दौरान कई विधायकों को चोटें लगीं। भाजपा का आरोप है कि उसके कई विधायकों को टीएमसी एमएलए और सिक्योरिटी गार्ड्स ने पीटा है। वहीं, टीएमसी का कहना है कि भाजपा विधायकों की मारपीट से उनके विधायक आसित मजूमदार को भी कथित तौर पर नाक पर चोट आई है।
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केंद्र सरकार को करना चाहिए हस्तक्षेप:
पश्चिम बंगाल के बीरभूम घटना को लेकर पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामे पर विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने मार्च निकाल। इस दौरान उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस, उनके गुंडे और पुलिस के ख़िलाफ़ हमारा मार्च है। इसको लेकर हम स्पीकर के पास भी जाएंगे। शुवेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल में जो हालत हैं, उसको लेकर केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि हमने संवैधानिक तरीके से विरोध किया, जिसके बाद सिविल ड्रेस पहने पुलिस कर्मी और टीएमसी के विधायकों ने हमारे (भाजपा के) विधायकों को मारा।
ममता बनर्जी छिपाना चाहती है सच:
भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने भी पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ”पश्चिम बंगाल विधानसभा में बेहद खराब हालात, पहले गवर्नर और अब भाजपा विधायकों से टीएमसी ने की बदसलूकी। चीफ व्हिप मनोज तिग्गा के साथ भी बदतमीजी हुई। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि भाजपा रामपुरहाट में हुई हिंसा पर चर्चा की मांग कर रही थी, ममता बनर्जी क्या छिपाना चाहती हैं?”
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