पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं के चरित्र के ऊपर टिप्णी करना बहुत ही आसान है।
चंडीगढ़ः 4 साल के बच्ची के कस्टडी को लेकर एक सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अनूपिंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा कि “पति यह कह कर बच्ची की कस्टडी को देने से इनकार नहीं कर सकता कि उसकी पत्नी किसी और के साथ अनैतिक संबंध में है।” हालांकि, इस आरोप को सिद्ध करने के लिए कोई भी सबूत कोर्ट के समक्ष पेश नहीं किया गया था।
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि बदलते जमाने के साथ एक अभिभावक भी बच्चे के पालन पोषण करने में सक्षम है।
दरअसल मामला यह था कि पति पत्नी दोनों ऑस्ट्रेलिया में रहकर काम करते थे, वहीं पर उनकी पत्नी ने एक बच्ची को जन्म दिया और अब बच्ची का पालन पोषण वही हो रहा था। कुछ सालों बाद दोनों पति पत्नी में अनबन होने के कारण दोनों अलग-अलग रहने लगे और साल 2019 में ऑस्ट्रेलिया के ही कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई।पर तलाक के पहले ही दोनों पति पत्नी आपसी सुलह के बाद एक साथ रहने का फैसला किये।
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जनवरी 2020 में दोनों वापस भारत आ गए और उसके बाद फिर से दोनों में अनबन शुरू हो गई पति बच्ची की पासपोर्ट रखकर अपने पत्नी को प्रताड़ित करने लगा। जिसके उपरांत उसकी पत्नी वापस ऑस्ट्रेलिया चली गई और वहां के कोर्ट में फिर से अपने बच्चे की कस्टडी के लिए केस दर्ज की। इसके साथ ही वह पंजाब और हरियाणा कोर्ट में भी अपने बच्ची की कस्टडी के लिए केस दायर कर दी थी।
उसके बाद पंजाब एवं हरियाणा कोर्ट ने कहा कि की बच्ची कि उम्र 5 साल से कम है और वह ऑस्ट्रेलिया की नागरिक है और याचिकाकर्ता भी ऑस्ट्रेलिया में ही रहती है, और वो वह इस बच्ची की पालन पोषण करने में सछम हैं, तो इस बच्ची की कस्टडी उसकी मां को देने मैं कोई दिक्कत नहीं है।
साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि बच्ची की कस्टडी उसकी मां को सौंपी जाए और जब तक उसकी मां वापस भारत आकर अपने बच्चे की कस्टडी न लेले तब तक यह सुनिश्चित किया जाये, उनके पति के द्वारा कि हर मंगलवार, शुक्रवार और रविवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा वह अपने बच्चे से बात कर सके।
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